शाहजहांपुर में 12 वर्ष की किशोरी से दरिंदगी के 30 साल पुराने मामले में दोषी पाए गए पड़ोस में रहने वाले दो सगे भाइयों को सत्र न्यायालय ने दस-दस साल की सजा सुनाई है। किशोरी के गर्भवती होने पर परिजन दरिंदों के खिलाफ कार्रवाई की हिम्मत नहीं जुटा सके थे। दुराचार के बाद जन्मे बेटे को भी एक रिश्तेदार को सौंप दिया। बड़े होकर उसी बेटे ने मां की तलाश की और दुष्कर्म की रिपोर्ट दर्ज करवाई। सुबूत के लिए दोषी के साथ अपने डीएनए का मिलान कराया। टेस्ट से इंसाफ की राह खुली और दोषी बेनकाब हो गए।
वर्ष 1994 में पीड़िता की उम्र 12 साल की थी। वह सदर बाजार क्षेत्र में अपने बहनोई और बहन के साथ रहती थी। थोड़ी दूरी पर मोहल्ला महमंद जलालनगर निवासी नकी हसन उर्फ ब्लेडी चालक और उसका भाई गुड्डू रहते थे। पीड़िता के बहन-बहनोई नौकरी करते थे। काम के सिलसिले में वे दोनों बाहर गए थे, तभी नकी घर में घुस आया। उसने किशोरी से दुष्कर्म किया। अगले दिन गुड्डू ने भी दरिंदगी की। इसके बाद दोनों भाई डरा-धमकाकर दो वर्ष तक उससे दुराचार करते रहे। डर के कारण वह दो वर्ष तक यह सब सहती रही। इस समय नकी 25 और गुड्डू 22 वर्ष का था।
पीड़िता के गर्भवती होने पर बहन-बहनोई ने नकी के घर में शिकायत की। इस पर दोनों भाइयों ने परिजनों को इतना धमका दिया कि डर के मारे उन्होंने कहीं शिकायत ही नहीं की। इधर, उम्र कम होने के कारण डॉक्टर ने भी गर्भपात कराने से मना कर दिया। रामपुर में 13 वर्ष की आयु में उसने बेटे को जन्म दिया। लोकलाज के डर से परिजनों ने हरदोई के एक रिश्तेदार को बेटा पालने के लिए दे दिया। घटना के छह साल बाद पीड़िता का विवाह हुआ। शादी के छह साल बाद जब उसके अतीत का पता चला तो पति ने रिश्ता खत्म कर लिया।
वर्ष 2012 में बेटा अपने माता-पिता के बारे में पता करते हुए पीड़िता के पास पहुंचा। तब तक वह 17 साल का हो चुका था। उसने हौसला दिया तो पीड़िता ने पांच मार्च 2021 को सदर बाजार थाने में केस दर्ज कराया। महिला की गुजारिश पर बेटे का डीएनए टेस्ट कराया गया, जो नकी हसन से मिला। पुलिस ने दोनों भाइयों के खिलाफ आरोपपत्र अदालत भेजा। अपर सत्र न्यायाधीश (षष्टम) लवी यादव ने दोनों दोषियों को 10-10 वर्ष के कारावास की सजा सुनाते हुए 30-30 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया है। इस तरह पीड़िता को 30 साल बाद इंसाफ मिला और दोषियों को सजा मिली।