जुबेर ने बताया कि 2006 में होटल इंड्रस्टी ज्वाइन की और बरेली से अहमदाबाद गए। जिस होटल में काम करता थे, वो एयरपोर्ट के अंदर था। वहीं से जेट ऐयरवेज, किंग फिशर देखते थे। एग्जाम दिया, क्वालीफाईड हो गया और 2007 में जेट एयरवेज ज्वाइन कर लिया। जुबेर ने बताया कि जेट एक कंपनी नहीं थी, बल्कि एक परिवार था, लेकिन ये नहीं मालूम था, कि कंपनी में 18 से 20 घंटे काम करके कंपनी को आगे बढ़ाने में जो सहभागिता की है, वो कंपनी एक ऐसे मोड पर लाकर खड़ा करेगी, जहां लोग सुसाइड करना शुरू कर देंगे। नौकरी जाने के बाद लोगों की फैमिली से मिला और मन में ठानी, कुछ नया करना है। सोचा कि दूसरे शहर में जाकर जब सफलता मिल सकती है, तो अपने शहर में क्यों नहीं। इसके बाद बरेली से शुरुआत की। ऐसे लोगों को अपने साथ खड़ा किया, जिनके पास काम नहीं था और एक टीम खड़ी कर काम शुरू किया। इसके बाद सफलता मिलती चली गई। जुबेर का कहना है कि डरना नहीं चाहिए। खाना देने वाला भगवान है। यदि आपके पास कोई काम नहीं होगा, तो भूखे नहीं सोएंगे।