बालाजी ज्योतिष संस्थान के ज्योतिषाचार्य पंडित राजीव शर्मा ने बताया कि 19 नवंबर मंगलवार को अपराह्न 3:36 बजे तक सप्तमी तिथि रहेगी इसके उपरांत अष्टमी तिथि आरम्भ होगी जो कि अगले दिन दोपहर तक रहेगी।इस बार मंगलवार के साथ कई शुभ फल प्रद योगों अर्थात आनंद,ब्रह्म,अमृत एवं सर्वार्थसिद्धि योगों का होना विशेष शुभ फलदायी है।क्योंकि भैरव जी का दिन रविवार तथा मंगलवार माना जाता है इस लिए इस दिन इनकी पूजा करने से भूत-प्रेत बाधाएं दूर होती हैं।
भैरव से काल भी भयभीत रहता है,इसलिए इन्हें कालभैरव के नाम से भी जाना जाता है।भैरव अष्टमी के व्रत को गणेश विष्णु यम चन्द्रमा कुबेर आदि ने किया था।इसी व्रत के प्रभाव से भगवान विष्णु लक्ष्मी के पति बने,यह सब कामनाओं को देने वाला सर्वश्रेष्ठ व्रत है। जो इस व्रत को निरंतर करता है,महा पापों से छूट जाता है।ऐसी मान्यता है कि भैरव अष्टमी के दिन प्रातः काल स्नान कर पितरों का श्राद्ध और तर्पण करने के उपरांत यदि काल भैरव की पूजा की जाये तो उससे उपासक के वर्ष भर के सारे विघ्न टल जाते हैं।उसे लौकिक परलौकिक बाधाओं से मुक्ति मिलती है।
इस दिन प्रातः काल स्नानादि से निवृत होकर तर्पण कर प्रत्येक पहर में काल भैरव एवं शिव शंकर भोलेनाथ का विधिवत पूजन करके तीन बार अर्ध्य दें।अर्द्ध रात्रि में शंख,घंटा, नगाड़ा आदि बजाकर कालभैरव की आरती करें।सम्पूर्ण रात्रि जागरण करें।भगवान भैरव का वाहन कुत्ता माना जाता है इसलिये उसे दूध पिलाएं एवं मिठाई खिलाएं।