पूजन विधि इस दिन व्रती स्त्रियों को प्रातः काल स्नानादि के बाद पति, पुत्र,पौत्र तथा सुख सौभाग्य की इच्छा का संकल्प लेकर यह व्रत करना चाहिए। इस व्रत में शिव -पार्वती,कार्तिकेय,गणेश तथा चंद्रमा का पूजन करके अर्ध्य देकर ही जल,भोजन ग्रहण करना चाहिए।चंद्रोदय के कुछ पूर्व एक पटले पर कपड़ा बिछाकर उस पर मिट्टी से शिव जी,पार्वती जी,कार्तिकेय जी और चन्द्रमा की छोटी छोटी मूर्तियाँ बनाकर अथवा करवा चौथ के छपे चित्र लगाकर पटले के पास पानी से भरा लोटा और करवा रखकर करवा चौथ की कहानी सुने और कहानी सुनने से पूर्व करवे पर रोली से एक सतिया बनाकर उस पर रोली से 13 बिंदियां लगाएं। हाथ पर गेहूं के 13 दाने लेकर कथा सुनी जाती है और चांद निकल आने पर उसे अर्ध्य देकर स्त्रियां भोजन करती हैं।
चंद्र दर्शन के समय क्या करें चंद्रमा निकलने से पूर्व पूजा स्थल पर रंगोली बनाएं तथा एक करवा टोटीदार उरई की पांच या सात सीकेँ डालकर रखा जाता है, करवा मिट्टी का होता है।यदि पहली बार करवा चौथ पर चांदी या सोने के करवे से पूजा की है तो इस करवे की भी हर बार पूजा होती है। रात्रि में चंद्रमा निकलने पर चंद्र दर्शन कर अर्ध्य दें। चन्द्रमा के चित्र पर निरंतर जल की धार छोड़े और सुहाग और समृद्वि की कामना करें।