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बरेली

करवा चौथ पर इस बार रहेगी शुक्र ग्रह की विशेष कृपा, जानिए पूजा विधि

इस बार 17 अक्टूबर को चंद्रोदय व्यापिनी चतुर्थी तिथि प्रातः 6:48 बजे के बाद आरम्भ होगी।

बरेलीOct 11, 2019 / 10:08 am

jitendra verma

करवा चौथ पर इस बार रहेगी शुक्र ग्रह की विशेष कृपा, जानिए पूजा विधि

करवा चौथ पर इस बार रहेगी शुक्र ग्रह की विशेष कृपा, जानिए पूजा विधि

बरेली। करवाचौथ व्रत कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष में चंद्रोदय व्यापिनी चतुर्थी को किया जाता है, यदि दो दिन चंद्रोदय व्यापिनी या दोनों ही दिन न हो तो पहले दिन वाली चंद्रोदय ही लेनी चाहिए। इस बार 17 अक्टूबर को चंद्रोदय व्यापिनी चतुर्थी तिथि प्रातः 6:48 बजे के बाद आरम्भ होगी। इस दिन कृतिका नक्षत्र अपराह्न 3:52 बजे तक रहेगा तदोपरांत रोहिणी नक्षत्र प्रारम्भ होगा जोकि पूर्ण रात्रि रहेगा। बालाजी ज्योतिष संस्थान के ज्योतिषाचार्य पंडित राजीव शर्मा के अनुसार इस बार करवा चौथ की विशेष बात यह है कि चंद्रमा का वृष राशि एवं रोहिणी नक्षत्र में उदय होना एवं सौंदर्य प्रदाता,विलासिता पूर्ण ग्रह शुक्र का भी युवावस्था में अपनी तुला राशि में विराजमान होना है साथ ही तुला की 45 मुहूर्त्ती संक्रांति होना एवं करवा चौथ व्रत बृहस्पतिवार का होंने से गुरु देव की भी रहेगी विशेष कृपा रहेगी। रोहिणी नक्षत्र का स्वामी स्वयं चंद्रमा होने के कारण एवं चंद्र स्वयं अपनी उच्च राशि वृष में उदय होने के कारण हर्षोल्लास देगा।
पूजन विधि

इस दिन व्रती स्त्रियों को प्रातः काल स्नानादि के बाद पति, पुत्र,पौत्र तथा सुख सौभाग्य की इच्छा का संकल्प लेकर यह व्रत करना चाहिए। इस व्रत में शिव -पार्वती,कार्तिकेय,गणेश तथा चंद्रमा का पूजन करके अर्ध्य देकर ही जल,भोजन ग्रहण करना चाहिए।चंद्रोदय के कुछ पूर्व एक पटले पर कपड़ा बिछाकर उस पर मिट्टी से शिव जी,पार्वती जी,कार्तिकेय जी और चन्द्रमा की छोटी छोटी मूर्तियाँ बनाकर अथवा करवा चौथ के छपे चित्र लगाकर पटले के पास पानी से भरा लोटा और करवा रखकर करवा चौथ की कहानी सुने और कहानी सुनने से पूर्व करवे पर रोली से एक सतिया बनाकर उस पर रोली से 13 बिंदियां लगाएं। हाथ पर गेहूं के 13 दाने लेकर कथा सुनी जाती है और चांद निकल आने पर उसे अर्ध्य देकर स्त्रियां भोजन करती हैं।
चंद्र दर्शन के समय क्या करें

चंद्रमा निकलने से पूर्व पूजा स्थल पर रंगोली बनाएं तथा एक करवा टोटीदार उरई की पांच या सात सीकेँ डालकर रखा जाता है, करवा मिट्टी का होता है।यदि पहली बार करवा चौथ पर चांदी या सोने के करवे से पूजा की है तो इस करवे की भी हर बार पूजा होती है। रात्रि में चंद्रमा निकलने पर चंद्र दर्शन कर अर्ध्य दें। चन्द्रमा के चित्र पर निरंतर जल की धार छोड़े और सुहाग और समृद्वि की कामना करें।

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