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अबकी बरेली में मतदाता किसके लगाएंगे ‘सुरमा’ पढ़िए पत्रिका की ये खास रिपोर्ट

भाजपा ने एक बार फिर संतोष गंगवार पर ही दांव लगाया है। जबकि कांग्रेस ने पूर्व सांसद प्रवीण सिंह एरन और समाजवादी पार्टी ने पूर्व मंत्री भगवतशरण गंगवार को चुनाव मैदान में उतारा है।

बरेलीApr 20, 2019 / 12:24 pm

jitendra verma

Loksabha election 2019 Ground report of bareilly loksabha

अबकी बरेली में मतदाता किसके लगाएंगे ‘सुरमा’ पढ़िए पत्रिका की ये खास रिपोर्ट

बरेली। झुमके और सुरमे के लिए मशहूर उत्तर प्रदेश की बरेली लोकसभा सीट राजनीतिक लिहाज से काफी महत्वपूर्ण है। पिछले करीब तीन दशक से इस सीट पर भारतीय जनता पार्टी का एक छत्र राज रहा है। यहां से सांसद संतोष गंगवार सात बार चुनाव जीत चुके हैं और इस समय केंद्र सरकार में मंत्री है। भाजपा ने एक बार फिर संतोष गंगवार पर ही दांव लगाया है। जबकि कांग्रेस ने पूर्व सांसद प्रवीण सिंह एरन और समाजवादी पार्टी ने पूर्व मंत्री भगवतशरण गंगवार को चुनाव मैदान में उतारा है। संतोष गंगवार भले ही यहाँ से सात बार चुनाव जीत चुके हो लेकिन समाजवादी पार्टी ने उनकी ही बिरादरी का प्रत्याशी उतार कर संतोष गंगवार की राह कठिन कर दी है। बरेली सीट पर इस बार त्रिकोणीय मुकाबला देखने को मिल रहा है।
केंद्रीय मंत्री त्रिकोणीय मुकाबले में उलझे

अगर बात करें बरेली लोकसभा सीट की तो इस सीट पर भारतीय जनता पार्टी सात बार जीत दर्ज कर चुकी है और इस बार भारतीय जनता पार्टी ने सात बार सांसद रह चुके केंद्रीय मंत्री संतोष गंगवार को चुनाव मैदान में उतारा है। संतोष गंगवार की मुश्किल सपा प्रत्याशी ने बढ़ा दी है। समाजवादी पार्टी ने संतोष गंगवार की बिरादरी के प्रत्याशी भगवतशरण गंगवार को उतार कर संतोष गंगवार की डगर कठिन कर दी है। कांग्रेस के प्रवीण सिंह एरन भी चुनाव मैदान में संतोष गंगवार को कड़ी टक्कर देते नजर आ रहे है। प्रवीण सिंह एरन ने ही 2009 के चुनाव में संतोष गंगवार का विजय रथ रोका था और संतोष गंगवार लगातार छह बार जीतने के बाद पहली बार चुनाव हारे थे। 2009 के चुनाव में भगवतशरण गंगवार भी चुनाव मैदान में थे। जानकारों का मानना है कि भगवत के चुनाव लड़ने की वजह से ही संतोष गंगवार को हार का सामना करना पड़ा था। एक बार फिर यही तीन प्रत्याशी बरेली के रण में है।
कुर्मी और मुस्लिम मतदाता निर्णायक

बरेली लोकसभा सीट पर कुर्मी और मुस्लिम मतदाताओं की अच्छी खासी तादात है। कुर्मी मतदाता संतोष गंगवार की असली ताकत माने जाते है। लेकिन इस बार के चुनाव में सपा ने भी कुर्मी प्रत्याशी उतार कर भाजपा को परेशानी में डाल दिया है। मुस्लिम मतदता भी इस सीट पर निर्णायक फैक्टर है और सभी दलों की कोशिश होगी ज्यादा से ज्यादा से मुस्लिम वोट उनके पाले में आए जिससे कि चुनाव में उनकी स्थिति मजबूत हो।
2014 में कैसा रहा था जनादेश

पिछले लोकसभा चुनाव में यहां समूचे उत्तर प्रदेश की तरह मोदी लहर का असर दिखा था। बीजेपी के संतोष गंगवार को इस सीट पर 50 फीसदी से अधिक वोट प्राप्त हुआ था। जबकि दूसरे नंबर पर रहे समाजवादी पार्टी की उम्मीदवार को सिर्फ 27 फीसदी वोट मिले थे। 2014 के चुनाव में यहां कुल 61 फीसदी मतदान हुआ था, इनमें से 6700 वोट नोटा में गए थे।
प्रत्याशियों का प्रोफ़ाइल

संतोष गंगवार ने पहली बार लोकसभा का चुनाव 1989 में लड़ा था और वो तब से 2004 तक लगातार छह बार सांसद चुने गए। संतोष गंगवार को 2009 में हार का सामना करना पड़ा लेकिन 2014 के चुनाव में उन्हें एक बार फिर बरेली की जनता से भारी अंतर् से चुनाव जिताया और संतोष गंगवार केंद्र सरकार में मंत्री बने।
कांग्रेस के प्रत्याशी प्रवीण सिंह एरन 1989 और 1993 में दो बार विधायक रह चुके है और मायावती सरकार में उन्हें मंत्री भी बनाया गया था। इसके बाद वो कांग्रेस में शामिल हुए और 2009 के लोकसभा चुनाव में उन्होंने संतोष गंगवार का विजय रथ रोका लेकिन 2014 के चुनाव में उन्हें हार का सामना करना पड़ा। अब एक बार फिर कांग्रेस पार्टी ने प्रवीण सिंह एरन पर भरोसा जताते हुए बरेली लोकसभा क्षेत्र से प्रत्याशी घोषित किया है।
सपा प्रत्याशी भगवतशरण गंगवार कुर्मी बिरादरी में अच्छी पकड़ रखते है और उन्हें सपा ने चुनाव मैदान में उतारा है। भगवतशरण गंगवार नवाबगंज से पांच बार विधायक रह चुके है और प्रदेश सरकार में दो बार मंत्री भी बन चुके है। इसके पहले भी इन्हे सपा ने 2009 के लोकसभा चुनाव में प्रत्याशी बनाया था लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा। अब एक बार फिर समाजवादी पार्टी ने उन पर दांव लगाया है।
बरेली लोकसभा सीट का इतिहास

बरेली लोकसभा सीट पर अभी तक 16 बार बार चुनाव हुए हैं, इनमें से 7 बार भारतीय जनता पार्टी ने बाजी मारी है। जिसमें से 6 बार तो लगातार जीत दर्ज की गई थी। 1952, 1957 के चुनाव में कांग्रेस ने यहां जीत दर्ज की। लेकिन 1962 और 1967 के चुनाव में यहां कांग्रेस को करारी हार का सामना करना पड़ा और भारतीय जनसंघ ने यहां जीत दर्ज की। हालांकि, उसके बाद हुए तीन चुनाव में से दो बार कांग्रेस चुनाव जीती।1989 के चुनाव में यहां बीजेपी की ओर से संतोष गंगवार जीते, जिसके बाद तो उन्होंने इस क्षेत्र को अपना गढ़ बना लिया। 1989 से लेकर 2004 तक लगातार 6 बार संतोष गंगवार यहां से चुनाव जीते। हालांकि, 2009 के चुनाव में उन्हें हार का सामना करना पड़ा लेकिन 2014 में एक बार फिर वह बड़े अंतर से जीत कर लौटे।
बरेली लोकसभा के जातिगत आंकड़े

01 लाख ब्राह्मण

60 हजार वैश्य

80 हजार कायस्थ

70 हजार यादव

1.5 लाख एससी

01 लाख लोधी राजपूत

1.50 मौर्य
03 लाख कुर्मी

4.50 लाख मुस्लिम

कुल मतदाता

बरेली लोकसभा सीट के लिए इस बार 1806786 मतदाता है। जिसमे पुरुष 968146 जबकि 838545 महिला मतदाता जबकि अन्य मतदाताओं की संख्या 95 है।
मुद्दे

बरेली में बंद हुए उद्योग एक प्रमुख चुनावी मुद्दा है। इसके आलावा मांझा, जरी, फर्नीचर कारीगरों को भी इस चुनाव से काफी उम्मीद हैं। बरेली कॉलेज को यूनिवर्सिटी बनाने की मांग भी होती रहती है।
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