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बरेली

अफसर बेबस, निगम में इंजीनियर राज, बेलदार को लिपिक का ताज, जानें और क्या क्या गड़बड़ी

नगर निगम में व्यवस्थाओं को दुरुस्त करने के लिए योगी सरकार ने आईएएस अफसरों को जिम्मेदारी सौंपी, लेकिन व्यवस्था और बेपटरी हो गई। अफसरों की सुस्ती की वजह से निगम में इंजीनियर राज चला रहे हैं।

बरेलीMay 14, 2024 / 04:28 pm

Avanish Pandey

नगर निगम बेलदार भुपेंद्र (फाइल फोटो)

बरेली। नगर निगम में व्यवस्थाओं को दुरुस्त करने के लिए योगी सरकार ने आईएएस अफसरों को जिम्मेदारी सौंपी, लेकिन व्यवस्था और बेपटरी हो गई। अफसरों की सुस्ती की वजह से निगम में इंजीनियर राज चला रहे हैं। निगम कर्मियों ने पटल परिवर्तन आदेश को ठेंगा दिखाकर नगर निगम प्रशासन की खूब फजीहत की। अब कार्यालय में बेलदार के पद पर तैनात कर्मचारी को लिपिक का ताज दे दिया। आलम ये है कि बेलदार बाबू बनकर निगम की सरकार चला रहे हैं।
अलाव के टेंडर में भी इंजीनियर ने किया भ्रष्टाचार
हाल ही में नगर निगम में अलाव के टेंडर में भी भ्रष्टाचार का मामला सामने आया था। इसमें छह माह बाद भी फर्म का भुगता नहीं किया गया। इसमें एक इंजीनियर ने फर्जी कागज लाकर अलाव की लकड़ी ले ली।द्ध अब फाइल में कागज बदले जा रहे हैं। निगम के निर्माण विभाग का ताजा मामला सामने आया है। जहां बेलदार के पद पर तैनात भूपेंद्र चीफ इंजीनियर के कार्यालय में बाबू बना बैठा है। चीफ इंजीनियर आते हैं और चले जाते हैं। बेलदार का ही कार्यालय पर कब्जा है। इस तरह के एक नहीं बल्कि हर विभाग में कर्मचारी है जो नियमावली को ठेंगा दिखा रहे है। नगर आयुक्त निधि गुप्ता की बेबसी इससे ज्यादा और क्या होगी कि कई बार पटल परिवर्तन करने और कर्मचारियों को उनके मूल पद पर भेजने का आदेश देने के बावजूद कुछ नहीं मिला। मूल पद पर न जाने वाले कर्मचारियों से स्पष्टीकरण भी लिया।
अफसरों के आदेश ठेंगे पर
नगर आयुक्त निधि गुप्ता वत्स ने ऐसी तमाम गड़बड़ी और अनुशासनहीनता के बारे में शासन तक को लिखा। सम्बंधित अफसर, कर्मचारियों से जवाब मांगा। मगर ऐसे कर्मचारी पर अफसर के आदेश कोई मायने नहीं रखते और ऐसे आदेशों को ठेंगा दिखाते हैं।
टेंडर की हर फाइल पर कमीशन, इसलिए कुर्सी को सलाम
निर्माण विभाग कार्यालय पर हर कोई ट्रांसफर कराने में सिफारिश करते है। ठेकेदारों का कहना है कि हर कार्य के लिए निगम में कर्मचारियों से लेकर इंजीनियरों को रिश्वत देनी पड़ती है। पेमेंट लेने जाते हैं तो अलग अलग टेबल पर सबका कमीशन तय है, जो कुल 12 प्रतिशत बैठता है। जब तक कमीशन नहीं दे दिया जाता तब तक फाइल आगे नहीं चलती। इसलिए चीफ इंजीनियर के कार्यालय को हर कोई सलाम ठोकता है। इस मामले में भूपेंद्र से बात की गई लेकिन उन्होंने कोई जबाव नहीं दिया।

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