scriptrealty check अंग्रेजों को परास्त करने वाले खान बहादुर खान को भूले लोग | realty check People forgot the Khan Bahadur Khan | Patrika News
बरेली

realty check अंग्रेजों को परास्त करने वाले खान बहादुर खान को भूले लोग

31 मई 1857 को नाना साहब पेशवा की योजना के अनुसार उन्होंने रुहेलखंड मंडल को अंग्रेज़ों से मुक्त करा लिया सभी अंग्रेज़ उनके डर से नैनीताल भाग गए

बरेलीAug 14, 2019 / 06:44 pm

jitendra verma

realty check People forgot the Khan Bahadur Khan

realty check अंग्रेजों को परास्त करने वाले खान बहादुर खान को भूले लोग

बरेली। 15 अगस्त 1947 को हमारा देश आजाद हुआ था और आजादी की लड़ाई में न जाने कितने ही क्रांतिकारियों ने वतन के खातिर अपनी जान गंवा दी। उन्ही में से एक महान क्रांतिकारी है रुहेला सरदार नवाब खान बहादुर खान। 1857 की क्रान्ति में रुहेलखंड इलाके में खान बहादुर खान की सेना ने ही अंग्रेजों से मोर्चा लिया था और करीब 11 माह के लिए बरेली को अंग्रेजों के चंगुल से आजाद करा लिया था। अंग्रेजों ने एक बार फिर बरेली पर धावा बोल कर नवाब खान बहादुर खान को गिरफ्तार कर लिया और उन्हें फांसी देकर पुरानी जिला जेल में दफन कर दिया था। काफी प्रयासों के बाद खान बहादुर खान की मजार जिला जेल से बाहर तो आ गई लेकिन अब इस मजार की सुध लेने वाला कोई नहीं है। आजादी की लड़ाई के इस दीवाने की मजार आज बदहाल स्थिति में है। मजार के मुख्य द्वार का शीशा टूट चुका है लेकिन इसकी मरम्मत कराने की फ़िक्र किसी को नहीं है।
ये भी पढ़ें

Dus ka dum 1857 की क्रांति में था बरेली कॉलेज का अहम योगदान, जानिए कॉलेज का रोचक इतिहास

realty check People forgot the Khan Bahadur Khan
अंग्रेजों की सेना को हराया
खान बहादुर खान आखरी रोहिला सरदार थे वह अंग्रेजी कोर्ट में बतौर जज कार्यरत थे उन्हें अंग्रेज़ों का विश्वास हासिल था और इसी विश्वास का फायदा उठाकर उन्होंने अपनी पैदल सेना तैयार कर ली थी खान बहादुर ने अपने कई सैनिकों को दूसरे राज्यों में अंग्रेज़ों से लड़ाई के लिए भेजा,31 मई 1857 को नाना साहब पेशवा की योजना के अनुसार उन्होंने रुहेलखंड मंडल को अंग्रेज़ों से मुक्त करा लिया सभी अंग्रेज़ उनके डर से नैनीताल भाग गए इसके बाद लगातार खान बहादुर खान का अंग्रेज़ों से संघर्ष चलता रहा इस बीच लखनऊ के अंग्रेज़ों के अधीन चले जाने से नाना साहब भी बरेली आ गए इसके बाद नकटिया पुल पर 6 मई 1858 में आखरी बार अंग्रेज़ों और खान बहादुर खान के बीच संघर्ष हुआ जिसमे भारतीयों को हार का मुँह देखना पड़ा।इसके बाद खान बहादुर खान नेपाल चले गए लेकिन राणा जंग बहादुर ने धोखे से उन्हें अंग्रेज़ों के हवाले कर दिया खान बहादुर खान पर मुक़दमा चलाया गया और उन्हें यातनाएं दी गयी। 22 फरवरी को कमिश्नर रॉबर्ट ने दोषी मानते हुए खान बहादुर खान को फांसी की सजा सुना दी और 24 मार्च 1860 को उन्हें पुरानी कोतवाली पर सरे आम फांसी दे दी गयी।
ये भी पढ़ें

#IndependenceDay 1857 की क्रान्ति में रुहेला सरदारों ने अंग्रेजों को किया था परास्त, आज भी मौजूद हैं निशानियां

बदहाल है मजार

खान बहादुर खान को पुरानी कोतवाली में फांसी देने के बाद अंग्रेजों को भय था कि लोग वहां पर इबादत न करने लगे जिसके कारण खान बहादुर खान को जिला जेल में बेड़ियों के साथ ही दफन कर दिया गया।जेल में बंद खान बहादुर खान की कब्र को काफी लम्बी जद्दोजेहाद के बाद जेल से बाहर निकला जा सका। अब जिला जेल यहाँ से शिफ्ट हो जाने के कारण शहीद की मजार की देखभाल करने वाला कोई नहीं बचा हैं। शहीद की यह मज़ार सिर्फ एक यादगार है पर उन्हें याद करने यहाँ कोई नहीं आता हद तो यह है कि इसके रखरखाव के लिए भी यहाँ कोई नहीं है।बस इनके शहीद दिवस पर लोग यहाँ सिर्फ खानापूर्ति करने आते हैं।इस मज़ार के अलावा इस वीर क्रांतिकारी की कोई निशानी इस शहर में नहीं जो लोगो को उसकी याद दिलाये और कभी किसी ने इस मुद्दे पर कोई आवाज़ भी नहीं उठाई।

Home / Bareilly / realty check अंग्रेजों को परास्त करने वाले खान बहादुर खान को भूले लोग

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो