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बरेली

#IndependenceDay 1857 की क्रान्ति में रुहेला सरदारों ने अंग्रेजों को किया था परास्त, आज भी मौजूद हैं निशानियां

आज वह पेड़ तो नहीं रहा लेकिन उसकी जड़ों में खड़ा शहीद स्तंभ उस क्रांति की याद दिलाता है।

बरेलीAug 13, 2019 / 04:52 pm

jitendra verma

Ruhela Sardar defeated British troops in 1857 Revolution

#IndependenceDay 1857 की क्रान्ति में रुहेला सरदारों ने अंग्रेजों को किया था परास्त, आज भी मौजूद हैं निशानियां

बरेली। 15 अगस्त 1947 को हमारा देश आजाद हुआ था। देश को अंग्रेजों के चंगुल से आजाद कराने के लिए न जाने कितने ही आजादी के दीवानों ने अपनी जान वतन की मिट्टी पर कुर्बान कर दी थी। अंग्रेजों के खिलाफ हुई 1857 की क्रान्ति में रुहेलखंड का भी बड़ा योगदान था और रुहेला सरदार नवाब खान बहादुर खान के नेतृत्व में लड़ी गई इस जंग का बरेली प्रमुख केंद्र था। नवाब खान बहादुर खान की बहादुर सेना ने अंग्रेजों को घुटने टेकने पर मजबूर कर दिया था। खान बहादुर खान के क्रांतिकारियों ने बरेली को कुछ समय के लिए अंग्रेजों से आजाद भी करा लिया था। आज भी आजादी की लड़ाई की तमाम यादें बरेली में मौजूद हैं। इनमे से एक है कमीश्नरी जहाँ बरगद के पेड़ अंग्रेजों ने एक साथ 257 क्रांतिकारियों को फांसी की सजा दी थी। अब यहाँ पर शहीदों की याद में अमर शहीद स्तम्भ का निर्माण कराया गया है।
Ruhela Sardar defeated British troops in 1857 Revolution
अंग्रेजों से आजाद कराई बरेली
आजादी की पहली लड़ाई 1857 में बरेली समेत पूरा रुहेलखंड क्रांति की आग में सुलग गया था। नवाब खान बहादुर खान के साथ पं. शोभाराम समेत अन्य क्रांतिकारियों ने ब्रितानिया हुकुमत की नींव हिला दी थी और बरेली को कुछ समय के लिए आजादी दिला दी थी। करीब 10 माह पांच दिन तक बरेली अंग्रेजी हुकुमत से मुक्त रहा। लेकिन अंग्रेजों ने एक बार फिर 6 मई 1858 को शहर में प्रवेश करने के साथ ही क्रांतिकारियों को गिरफ्तार कर लिया था।
Ruhela Sardar defeated British troops in 1857 Revolution
257 क्रांतिकारियों को दी गई फांसी

गिरफ्तार किए गए क्रांतिकारियों पर मुकदमा चलाया गया जिसके बाद 24 फरवरी 1860 को खान बहादुर खान को पुरानी कोतवाली में फांसी दी गई जबकि 257 क्रांतिकारियों को इस बरगद के पेड़ पर फांसी पर लटका दिया गया था। क्रांति की अमिट छाप इस बरगद की हर शाख और पत्ते पर उकर आई थी। आज वह पेड़ तो नहीं रहा लेकिन उसकी जड़ों में खड़ा शहीद स्तंभ उस क्रांति की याद दिलाता है।

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