मौलाना शहाबुद्दीन रज़वी ने अल्पसंख्यक मंत्रालय को सलाह दी है कि हर जिले में उलेमा और दानेश्वरो की एक कमेटी का गठन किया जाए और निचले स्तर से लेकर उच्च स्तर तक अल्पसंख्यकों की ज़रूरतों और समस्याओं के निदान हेतु खाक़ा तैयार करें फिर इस रोड मैप के तहत काम किया जाएगा तो बजट का पास किया गया 5029 करोड़ रूपया धरातल पर उतर सकता है जिससे अल्पसंख्यकों के शिक्षा, समाजिक व आर्थिक हालात में कुछ बदलाव की तस्वीर पैदा हो सकती है। 329 करोड़ का इज़ाफ़ा किया जाना अल्पसंख्यकों के लिए एक अच्छा संकेत है।
इस बजट में खा़स तौर पर तलाक शुदा महिलाओं के लिए भी फंड रखा गया है इससे इन कमजोर महिलाओं को मदद मिलेगी और अपनी जिंदगी यापन के लिए दर दर ठोकर खाने से बचेगी मगर मुश्किल मसला यह है कि सरकारी योजनाएं और घोषणाएं धरातल पर नहीं उतर पातीं है। इस पर हुकूमत को ध्यान देंना चाहिए।