scriptUP Tourist Guide अहिच्छत्र की थी द्रोपदी, यहां देखिए प्राचीन किला, 23वें तीर्थंकर भगवान पार्श्वनाथ का मंदिर और चमत्कारी कुआं | UP Tourist Guide Know about Ahikshtra and Jain mandir in anola | Patrika News
बरेली

UP Tourist Guide अहिच्छत्र की थी द्रोपदी, यहां देखिए प्राचीन किला, 23वें तीर्थंकर भगवान पार्श्वनाथ का मंदिर और चमत्कारी कुआं

जैन धर्म के इष्ट भगवान पार्श्वनाथ की तपस्थली रहा ऑवला का रामनगर क्षेत्र अंतर्राष्ट्रीय ख्याति की जगह है।
महाभारत काल में बरेली का ऑवला क्षेत्र पॉचाल राज्य का हिस्सा रहा।
 

बरेलीSep 18, 2019 / 09:53 am

jitendra verma

UP Tourist Guide अहिच्छत्र की थी द्रोपदी, यहां देखिए प्राचीन किला, 23वें तीर्थंकर भगवान पार्श्वनाथ का मंदिर और चमत्कारी कुआं

UP Tourist Guide अहिच्छत्र की थी द्रोपदी, यहां देखिए प्राचीन किला, 23वें तीर्थंकर भगवान पार्श्वनाथ का मंदिर और चमत्कारी कुआं

बरेली। उत्तर प्रदेश का प्रमुख शहर बरेली किसी परिचय का मोहताज नहीं है। बरेली के सुरमे और मांझे ने इसको देश ही नहीं विदेशों में पहचान दी है तो यहाँ के धार्मिक ऐतिहासिक स्थल बरेली की खूबसूरती में चार चांद लगाते हैं। बरेली जिले की आंवला तहसील एतिहासिक महत्व की जगह है। जैन धर्म के इष्ट भगवान पार्श्वनाथ की तपस्थली रहा ऑवला का रामनगर क्षेत्र अंतर्राष्ट्रीय ख्याति की जगह है। दक्षिण भारतीय और आधुनिक शैली में बनाये गये श्री अहिछत्र पार्श्वनाथ जैन मन्दिर के दर्शन के लिए देश विदेश से श्रद्धालु यहॉ पहुंचते है। महाभारत काल में बरेली का ऑवला क्षेत्र पॉचाल राज्य का हिस्सा रहा। उत्खनन में मिले अहिक्षेत्र के किले के अवशेष इस बात की पुष्टि करते हैं। आज यह किला भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के संरक्षण में है। ऑवला में रोहिला साम्राज्य के आधिपत्य के दौरान बनायी गयी कई संरचनाऐं यहॉ देखने को मिलती है जिनमें से बेगम मस्जिद एक है।
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अहिच्छत्र के अवशेष यहां अभी भी हैं

आंवला में ही अहिच्छत्र का किला भी मौजूद है।अहिच्छत्र पांचाल देश की राजधानी रहा है। वहीं पांचाल जिसका जिक्र महाभारत में आता है और पांडवों की पत्नी द्रौपदी यानी पांचाली यहीं की थी। इससे इस जगह की प्राचीनता का अंदाजा लगाया जा सकता है। अहिच्छत्र के अवशेष यहां अभी भी हैं। यह जगह बरेली शहर से तकरीबन साठ किलोमीटर दूर है।
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जैन धर्म का है प्रसिद्ध मंदिर
आंवला के रामनगर में जैन धर्म के इष्ट भगवान पार्श्वनाथ की तपस्थली भी है जिसे पार्श्वनाथ जैन मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। 23वें तीर्थंकर पार्श्वनाथ भगवान ने इस स्थान पर मुनि रूप में तप कर ज्ञान को प्राप्त किया था। मंदिर में जैन धर्म के अन्य देवी देवताओं के भी दर्शन होते है यहाँ पर पार्श्वनाथ की श्यामवर्ण मूर्ति के दर्शन होते है। दक्षिण भारतीय और आधुनिक शैली में बनाये गये श्री अहिछत्र पार्श्वनाथ जैन मन्दिर के दर्शन के लिए देश विदेश से श्रद्धालु यहॉ पहुंचते है।
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23वें तीर्थंकर बने

पार्श्वनाथ जी का जन्म तीन हजार पूर्व पौष कृष्ण एकादशी वाले दिन वाराणसी में हुआ था। इनके पिता का नाम अश्वसेन और माता का नाम वामादेवी था जैन पुराणों के अनुसार पार्श्वनाथ जी को तीर्थंकर बनने के लिए इन्हे पूरे नौ जन्म लेने पड़े। पूर्व जन्म के संचित पुण्यों और दसवे जन्म के तप के फलस्वरूप पार्श्वनाथ जी 23वें तीर्थंकर बने। जैन ग्रंथों में तीर्थंकर पार्श्वनाथ के नौ पूर्व जन्मों का वर्णन मिलता है। पहले जन्म में वो ब्राह्मण , दूसरे जन्म में हाथी , तीसरे में स्वर्ग के देवता , चौथे में राजा , पांचवे में देव , छठवे में चक्रवाती सम्राट , सातवे में देवता , आठवें में राजा और नौवे जन्म में राजा इंद्र इसके बाद दसवे जन्म उन्हें तीर्थंकर बनने का सौभाग्य प्राप्त हुआ।
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मंदिर में है चमत्कारी कुंआ

मंदिर प्रांगण में ही एक कुंआ स्थित है कहा जाता है कि इस कुंए का जल पीने से गंभीर से गंभीर बीमारियां दूर हो जाती और यहाँ दर्शन के लिए आने वाले श्रद्धालु इस कुंए के जल को अपने साथ ले जाते है। बताया जाता है कि इस मंदिर पर आक्रमण हुआ था उस समय मंदिर का कर्मचारी पार्श्वनाथ जी की प्रतिमा को लेकर इसी कुंए में तीन दिन तक लेकर बैठा था।
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कैसे पहुंचे

सड़क और रेलमार्ग दोनों से आंवला आया जा सकता है। लखनऊ और दिल्ली की कुछ ट्रेनों का ठहराव आंवला रेलवे स्टेशन पर भी है इसके साथ ही लखनऊ और दिल्ली से बरेली के लिए तमाम ट्रेन हैं। बरेली आकर सड़क मार्ग से आंवला पहुंचा जा सकता है। बरेली एन एच 24 पर स्थित है इस लिए यहाँ पर सड़क मार्ग द्वारा आसानी से आया जा सकता है।आगरा की तरफ से आने वाले पर्यटक बदायूं होते हुए आंवला पहुँचते हैं।

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