रिजवान अपने भतीजे अरबाज के साथ गुरुवार को बाइक से किला पुल से गुजर रहे थे, तभी दोनों चाइनीज मांझे की चपेट में आ गए। इस घटना में रिजवान बुरी तरह से घायल हो गया जिसके बाद दोनों घायलों को जिला अस्पताल लाया गया। एक युवक के टांके लगाने पड़े। इन हादसों ने प्रशासन द्वारा चाइनीज मांझे पर रोक के दावे की पोल खोलकर रख दी है।
चाइनीज मांझे से हादसे शहर में पहले भी हो चुके हैं। कुछ दिनों पहले किला इलाके में ही मांझे की चपेट में आकर एक बच्चे की मौत भी हो चुकी है। वहीं सुभाषनगर पुल पर एक महिला पुलिसकर्मी चाइनीज मांझे की चपेट में आकर बुरी तरह से घायल हो गई थी। शहामतगंज ओवरब्रिज पर भी कई लोग घायल हो चुके हैं। शहर में आए दिन हादसे हो रहे हैं और प्रशासन हाथ पर हाथ रख कर बैठा है।
चाइनीज मांझा नायलॉन का बना होता है जो फंसने पर आसानी से टूटता नहीं। इस मांझे की चपेट में आने वाला व्यक्ति बुरी तरह से घायल हो जाता है और उसकी जान पर बन आती है। जबकि बरेली का मांझा धागे का होता है जिसको आसानी से तोड़ा जा सकता है।
चाइनीज मांझे से होने वाले ज्यादातर हादसे पुल पर सामने आते हैं। पुल पर मांझे को रोकने का कोई इंतजाम न होने के कारण मांझा पुल से गुजर रहे लोगों को अपनी चपेट में ले लेता है। हालांकि प्रशासन ने शहामतगंज और किला पुल पर मांझे को रोकने के लिए तार भी लगाए हैं, लेकिन फिर भी लोग मांझे की चपेट में आ रहे हैं।
चाइनीज मांझे के बाजार में आने के बाद बरेली के मांझे की चमक फीकी हो गई है। बरेली के मांझे की पहचान देश भर में है और यहां से मांझा सप्लाई किया जाता है, लेकिन चाइनीज मांझे के बाजार में आ जाने से बरेली का मांझा उद्योग बन्दी की कगार पर पहुंच गया है। कई लोगों ने मांझे के कारोबार से अपने आप को दूर कर लिया है।