– शिक्षा सचिव ने कहा था बंद करो, शिक्षा विभाग ने नहीं किया
– एक लाख रुपए से अधिक दी जा रही है तनख्वाह ओम माली/ भीख भारती गोस्वामी
बाड़मेर पत्रिका. सीमावर्ती बाड़मेर जिले में प्रारंभिक शिक्षा विभाग की घोर लापरवाही, एप्रोच के आगे नतमस्तक और शिक्षकों को उनकी मर्जी से सहूलियत पहुंचाने की तस्वीर सत्र के पहले दिन ही सामने आई। जहां सीमावर्ती क्षेत्र के 1471 विद्यालयों में एक-एक शिक्षक ही पढ़ा रहे है जो प्रदेश में सर्वाधिक बाड़मेर जिले में है वहां यहां एक विद्यालय खुला तो यहां 04 बच्चे ही नजर आए और यहां 03 शिक्षिकाओं की नियुक्ति है। यानि चार बच्चों को पढ़ाने को करीब एक लाख रुपए में शिक्षिकाएं लगा रखी है। नियमानुसार 50 से कम बच्चों पर एक शिक्षक ही है लेकिन यहां तीन शिक्षक क्यों नियुक्त है कोई जवाब है। एेसा नहीं है कि यह जानकारी शिक्षा विभाग को नहीं है। राजकीय प्राथमिक विद्यालय संख्या पांच में यह अंधेरगर्दी 15 सालों से लगातार चल रही है। शहर के तनङ्क्षसह सर्किल के पास संचालित इस स्कूल में नामांकन की संख्या 13 लिखी हुई है लेकिन जब भी निरीक्षण किया गया 04-05 बच्चे ही मिलते है।
हद हो गई सहूलियत की-
– एक लाख रुपए से अधिक दी जा रही है तनख्वाह ओम माली/ भीख भारती गोस्वामी
बाड़मेर पत्रिका. सीमावर्ती बाड़मेर जिले में प्रारंभिक शिक्षा विभाग की घोर लापरवाही, एप्रोच के आगे नतमस्तक और शिक्षकों को उनकी मर्जी से सहूलियत पहुंचाने की तस्वीर सत्र के पहले दिन ही सामने आई। जहां सीमावर्ती क्षेत्र के 1471 विद्यालयों में एक-एक शिक्षक ही पढ़ा रहे है जो प्रदेश में सर्वाधिक बाड़मेर जिले में है वहां यहां एक विद्यालय खुला तो यहां 04 बच्चे ही नजर आए और यहां 03 शिक्षिकाओं की नियुक्ति है। यानि चार बच्चों को पढ़ाने को करीब एक लाख रुपए में शिक्षिकाएं लगा रखी है। नियमानुसार 50 से कम बच्चों पर एक शिक्षक ही है लेकिन यहां तीन शिक्षक क्यों नियुक्त है कोई जवाब है। एेसा नहीं है कि यह जानकारी शिक्षा विभाग को नहीं है। राजकीय प्राथमिक विद्यालय संख्या पांच में यह अंधेरगर्दी 15 सालों से लगातार चल रही है। शहर के तनङ्क्षसह सर्किल के पास संचालित इस स्कूल में नामांकन की संख्या 13 लिखी हुई है लेकिन जब भी निरीक्षण किया गया 04-05 बच्चे ही मिलते है।
हद हो गई सहूलियत की-
जो शिक्षक इन 15 सालों में यहां नियुक्त हो रहे है उनकी शिक्षा विभाग में जुगाड़ की जड़ इतनी गहरी है कि इनके घर स्कूल से 50-100 मीटर की दूरी पर ही है। मतलब एक तरह से स्कूल इनके लिए ही खुला हुआ है। दूसरा इस स्कूल को बंद करने का सात साल पहले ही निर्देश तात्कालीन शिक्षा सचिव ने दिया था लेकिन शिक्षा विभाग इस पर अब तक मेहरबान है।
किराए का भवन लेकर चला रहे
किराए का भवन लेकर चला रहे
ताज्जुब इस बात का है कि यहां शिक्षा विभाग का भवन भी नहीं है। जब भवन निर्माण की बात आई तो बताया गया कि नगरपरिषद के पास जमीन नहीं है। किराए का भवन लेकर इस स्कूल को चलाया जा रहा है।
बॉर्डर के हाल
बॉर्डर के हाल
आठवीं स्कूल में भी एक शिक्षक
बॉर्डर की राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय चांदणिया बीजावल में 70 से अधिक बच्चे और आठ कक्षाएं है लेकिन हयां एक शिक्षक ही है। इसी तरह राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय द्राभा और शहदाद का पार खुर्द भी आठवीं स्कूल है और एक शिक्षक लगा हुआ है।
बॉर्डर की राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय चांदणिया बीजावल में 70 से अधिक बच्चे और आठ कक्षाएं है लेकिन हयां एक शिक्षक ही है। इसी तरह राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय द्राभा और शहदाद का पार खुर्द भी आठवीं स्कूल है और एक शिक्षक लगा हुआ है।
53 स्कूलों में शिक्षक एक-एक- सीमावर्ती गडरारोड़ के 53 प्राथमिक स्कूल है जहां पर एक-एक शिक्षक ही है। इन स्कूलों में नामांकन भी ठीक होने के बावजूद दूरी होने के कारण शिक्षकों को नहीं भेजा जा रहा है।
रिसफल से खाली हुए स्कूल
रिसफल से खाली हुए स्कूल
शिक्षकों का हाल ही में रिसफल परिणाम आया है। इससे बड़ी संख्या में शिक्षकों को दूसरी स्कूलों में नियुक्ति मिली है। जिले में अब 1471 स्कूल एकल शिक्षक हो गए है।