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बाड़मेर

‘बायोवेस्ट’ का नहीं ‘बेस्ट’ निस्तारण, बन सकता है बीमारियों का कारण

– सीएचसी गिड़ा में खुले में डाला जा बायोबेस्ट, आमजन के चिंता का कारण- बायोवेस्ट पिट की जगह गड्ढे़ में डाल इतिश्री

बाड़मेरOct 11, 2021 / 11:26 pm

Dilip dave

‘बायोवेस्ट’ का नहीं ‘बेस्ट’ निस्तारण, बन सकता है बीमारियों का कारण

‘बायोवेस्ट’ का नहीं ‘बेस्ट’ निस्तारण, बन सकता है बीमारियों का कारण



रूपाराम सारण
गिड़ा. चिकित्सालयों से निकलने वाले कचरा (बायोवेस्ट ) बीमारियों का कारण बन सकता है। नीडल हो या फिर ईडीटी ट्यूब गलती से बच्चे छू ले या किसी के लग जाए तो बीमारी हो सकती है इसलिए चिकित्सालयों में बायोवेस्ट पिट बना कर उसमें इसका निस्तारण करने का नियम है लेकिन स्थानीय सामुदायिक स्वास्थ्य भवन में यह खुले में बीमारियों का न्योत रहा है। स्थित यह है कि एक गड्ढे़ में निस्तारण किया जा रहा है जहां मच्छर-मक्खी भिनभिनाते हैं तो आवारा पशु मंडराते हैं जो बीमारियों के वाहक बन कर आमजन को चपेट में ले सकते हैं। हालांकि विभाग का कहना है कि इसका निस्तारण ठेके पर किया जा रहा है लेकिन यहां एेसा नजर नहीं आता।
गिड़ा स्थित सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र परिसर के अंदर व बाहर खुले में बायोवेस्ट फेंका जा रहा है। राजस्थान पत्रिका की टीम ने अस्पताल में जाकर देखा तो बायोवेस्ट का डिस्पोज बायोवेस्ट पिट की जगह खुले गड्ढे में किया हुआ था।
ईडीटी ट्यूब, सीरिंज को हॉस्पिटल बाउंड्री के बाहर खुले में फेंका जा रहा है जिस पर गांव के पशु दिनभर मुंह मारते रहते हैं। पालतु पशुओं के इसे खाने पर दूध के मार्फत आमजन में बीमारी फैलने का अंदेशा रहता है।
अस्पताल के पास कचरा निस्तारण- सीएचसी भवन के पीछे एक गड्ढे में कचरा डाला जा रहा है। गड्ढे में हॉस्पिटल में प्रयुक्त हुए कांच के वायल, प्लास्टिक बोतलें,ग्लूकोज,आईवी सेट, पट्टियां, गोज, सीरिंज जिसमे भी ज्यादातर ओपन नीडल आदि डाली हुई थीं। वही दूसरी तरफ हॉस्पिटल परिसर में बना बायोवेस्ट पिट कचरे भरा हुआ मिला।

नीडल कटर का नहीं उपयोग- इंजेक्शन रूम, लेबर रूम व ओटी में इंजेक्शन का उपयोग होने के बाद नीडल कटर से जलाया जाता है फिर उससे बनने वाला वेस्ट को बायोवेस्ट कॉमेंट साइट पर भेज डिस्पोज किया जाता है यहां लेकिन ऐसा नहीं होकर नीडल को खुल्ले में फेंकी जा रहीं हैं।
कैसे होता है हॉस्पिटल में कचरे का निस्तारण-

जैसा कि हॉस्पिटल में जनरेट होने वाले बायोवेस्ट को नेशनल ग्रीन ट्रब्यूलिटी नियम के तहत अलग-अलग कलर के डस्ट बीन्स में अलग-अलग तरह के वेस्ट को डाले जाने का प्रावधान है। उसके बाद उसको बायोवेस्ट पिट में कैमिकल के द्वारा डिस्पोज करना होता है न कि उसको जलाया जाता हैं। वहीं इसके एकदम उल्टा सभी तरह के बायोवेस्ट को पॉलीथिन में डालकर एक ही गड्ढे में डालकर उसको खुले में जलाया जा रहा हैं जो नियम विरुद्ध है।
ब्लॉक इंचार्ज बायोवेस्टा की जानकारी से अनजान
बायतु ब्लॉक इंचार्ज शिवराम प्रजापत से इनके बारे में जानकारी ली गई तो बताया कि पॉल्युशन बोर्ड का वाहन आता है और कचरा उठाकर ले जाता है जिसका भुगतान किया जाता है।
पत्रिका ने जब इसकी कार्यवाही को लेकर जवाब पूछा तो ब्लॉक इंचार्ज ने कहा कि अगर सही ढंग से निस्तारण नहीं होता है तो हम उसको नोटिस दे देंगे।
हमने इसको लेकर कई बार सी एम एस ओ को पत्र लिखा परंतु कोई लेने के लिए नहीं आते हैं तो हमने कुछ को जला दिया और कुछ को खड्डे में डालकर जेसीबी से दबा दिया इसमे हमारे पास कोई इलाज नहीं है। जिस कंपनी का ठेका हो रखा है उसके कार्मिक कभी लेने नहीं आते हैं।
डॉक्टर महेंद्र चौधरी,अस्पताल प्रभारी गिड़ा

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