बाड़मेर। कुशल धाम ब्रह्मसर दादावाड़ी में 51 दिवसीय चातुर्मास (chatrumas) के दौरान पर्युषण (
parusan) पर्व के पहले दिन प्रवचन माला में सोमवार को उपाध्याय मनोज्ञसागर ने कहा कि अंतर हृदय से आत्मा (soul) की उमंग के साथ और जीवन (life) की अनुपम उपलब्धि को प्राप्त करने के लिए आप हम सब अंतर से पर्युषण पर्व का स्वागत अभिनंदन (welcome) और शत शत वंदन करते हैं। आज पृथ्वीलोक के साथ देवलोक में भी महत्वपूर्ण दिनों को श्रद्धा पूर्वक मनाते हैं। प्रथम दिन है और आज हमें दो बातों का विशेष ध्यान रखना जो बहुत ताकतवर है। कर्म-यह इतना बलवान है जिसके कारण अनंत बली आत्मा भी संसार के विविध विविध गतियों में परिभ्रमण कराती है। समय से व्यक्ति बड़ा नहीं होता है। समय बलवान होता है। सही समय पर किया गया प्रयास अच्छे परिणामों को प्रदान करते हैं। बरसात हो उसके ठीक बाद किसान खेत में हल ना जोते तो वह फसल की प्राप्ति नहीं कर सकता है।
पर्युषण पर्व में करें नियम पालन
पहली बार सामूहिक चातुर्मासिक आराधना का जो समय काल चल रहा है यह भी हमारे पुण्य का ही फल है। पर्युषण पर्व में नियमों का पालन करना होता है। जैसे पूरी अवधि में सभी सुख-सुविधाओं का त्याग करते हुए दिन में सिर्फ एक बार ही घर में बना भोजन करना होता है। इस पूरी अवधि में क्रोध, झूठ, ईष्र्या, अभिमान आदि से बचना होता है। चातुर्मास के दौरान मौन साधना का विशेष महत्व है। इसलिए अधिक से अधिक मौन रखना होता है। तमाम तरह की भौतिक सुख-सुविधाओं का त्याग करते हुए सादा जीवन जीना, उच्च विचार की राह पर चलना होता है। 8 दिनों में जितना कुछ पा सके वह हमारे ऊपर निर्भर है।