बढ़ता जा रहा कारवां- कस्बे में दिनोदिन बेसहारा पशुओं की तादाद बढ़ती जा रही है। मुख्य बाजार व बस स्टेशन के आसपास जहां सब्जी की दुकानें व हाथ ठेले हैं, वहां इनका जमावड़ा रहता है। कई बार तो यह स्थिति होती है कि सड़क पर बैठ जाने से वाहन तो क्या पैदल चलना भी मुश्किल जो जाता है।
डाल देते हैं हरा चारा-इन बेसहारा पशुओं को धर्म के नाम पर लोग हरा चारा डालते हैं। वे बीच राह और सड़क पर ही चारा डाल देते हैं। एेसे में अल सुबह तो चारे के लिए पशु इधर-उधर भागते नजर आत हैं। इस दौरान कई जनों को चोटिल भी किया है।
डाल देते हैं हरा चारा-इन बेसहारा पशुओं को धर्म के नाम पर लोग हरा चारा डालते हैं। वे बीच राह और सड़क पर ही चारा डाल देते हैं। एेसे में अल सुबह तो चारे के लिए पशु इधर-उधर भागते नजर आत हैं। इस दौरान कई जनों को चोटिल भी किया है।
जिम्मेदान नहीं दे रहे ध्यान- कस्बे से बेसहारा पशुओं को हटाने के लिए अभियान की जरूरत है, लेकिन जिम्मेदार ध्यान नहीं दे रहे। ग्राम पंचायत हो या फिर उपखण्ड प्रशासन किसी को भी कस्बे की इस समस्या से मानो कोई लेना-देना ही नहीं है।
प्रशासन करे कार्रवाई-
कस्बे में हर दिन बेसहारा पशु आपस में लड़ते हंै। घर से बाहर निकलना मुश्किल हो गया है। हादसों में लोग चोटिल व घायल हो चुके हैं। प्रशासन कोई कार्रवाई नहीं कर रहा है। इनकी धरपकड़ कर गोशाला भिजवाएं। –
कस्बे में हर दिन बेसहारा पशु आपस में लड़ते हंै। घर से बाहर निकलना मुश्किल हो गया है। हादसों में लोग चोटिल व घायल हो चुके हैं। प्रशासन कोई कार्रवाई नहीं कर रहा है। इनकी धरपकड़ कर गोशाला भिजवाएं। –
गणपत