हल्देश्वर धाम में सावन में भक्तों की आस्था उमड़ती है। यहां पहुंचना आसान नहीं है। श्रद्धालुओं व पर्यटकों को धाम तक पहुंचने के लिए सात पहाडिय़ां पार करनी पड़ती हैं। पहाड़ी रास्ता दुर्गम और भटकाने वाला है। भगवान भोले के प्रति आस्था यहां आने वाले को सुगम मार्ग प्रशस्त करती है। ऐसी मान्यता है कि यहां आने वाले भक्त की मनोकामना पूर्ण होती है। देश के हर कोने से भक्त दर्शन के लिए आते हैं।
दस किमी रास्ता, सात पहाडिय़ां
सिवाना के पीपलून गांव में स्थित महादेव मंदिर का रास्ता दस किमी के करीब है। पूरा रास्ता पहाड़ी है। आस्था स्थल तक पहुंचने में सात पहाड़ भक्तों को पार करने पड़ते हैं। रास्ते में श्रद्धालुओं के एकमात्र विश्राम के लिए दुर्गादास पोल बनी है। यहां आने वाले भक्त पोल में बैठकर कुछ पल जरूर बिताते हैं।
बरसात मेें झरनों की कल-कल
बारिश में पहाड़ों पर झरने बहते हैं। झरनों की कल-कल यहां अलग ही सुकून देती है। चारों तरफ पहाड़ों पर हरियाली हर किसी के मन को मुस्कान से भर देती है। सुबह और शाम तो मौसम मानो ऐसा होता है कि माउंट की पहाडिय़ों के बीच में ठहरे हुए हैं। दर्शन के साथ अब यह पिकनिक स्पॉट भी बनता जा रहा है। पूरे साल देसी पर्यटक यहां आते हैं। बरसात के दौरान तो रविवार को खूब रौनक रहती है।
यह भी है मान्यता
श्रद्धालुओं के अनुसार यहां आपकी मनोकामना पूर्ण भी होती है। हल्देश्वर धाम से लौटते वक्त रास्ते में आपको घरौंदे बने हुए मिल जाएंगे। असल में ये उन लोगों का सपना है जो अपना खुद का घर चाहते हैं। ऐसी मान्यता है कि यहां पत्थरों से घरौंदा बनाने पर यह इच्छा पूरी होती है।