बाजरा मारवाड़ का प्रमुख खाद्य है और इसका उत्पादन इसी कारण बरसों से यहां सर्वाधिक हो रहा है। बाजरे के उत्पादन के बावजूद रेगिस्तान के इलाके में गुणवत्तता के बीज और बाजरे की उन्नत किस्म के लिए गुजरात व अन्य राज्यों के भरोसे किसान रहा है लेकिन अब खुशखबर है कि रेगिस्तान के मुख्य उत्पाद बाजरा के लिए यहीं पर अनुसंधान संस्थान खोलने की प्रक्रिया प्रारंभ हुई है।
यह होगा फायदा
जिले में बाजरा अनुसंधान संस्थान खुलने से बाजरे की जैव विविधता, उच्च गुणवत्ता युक्त वाजिब दाम, प्रमाणित बीज, मूल्य संवर्धन आधारित बाजरा, बीज एवं जैविक प्रमाणीकरण संस्थान, बीजों के व्यापार संबंधित उद्योग व कृषि आधारित कुटीर उद्योग का विकास होगा। साथ ही किसानों की आय में वृद्धि के साथ रोजगार के साधन भी बढ़ जाएगें।
देश का पहला
भारत सरकार, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद व विभिन्न राज्य सरकारों की ओर से अन्य अनाज के अनुसंधान संस्थान है, लेकिन बाजरा को लेकर कोई संस्थान देश में नहीं है। इसका फायदा राजस्थान, हरियाणा, उत्तरप्रदेश व मध्यप्रदेश के किसानों को फायदा मिलेगा। साथ ही नकली बीज विक्रेताओं के चंगुल से भी किसान बच सकेंगे।
– जमीन मांगी है,
बाजरा उत्पादन को देखते हुए बाड़मेर जिले में बाजारा अनुसंधन संस्थान प्रस्तावित है। इसके लिए हमने जिला कलक्टर को पत्र लिखकर सौ एकड़ जमीन मांगी है। जमीन व वित्तीय स्वीकृति मिलने के बाद ही आगे की प्रक्रिया शुरू होगी। – डॉ. तारा सत्यवती, प्रोजेक्ट कॉडिज़्नेटर, अखिल भारतीय समन्वित बाजरा अनुसंधान परियोजना, जोधपुर
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