बालोतरा.हिन्दू धर्म व परम्परा के अनुसार किसी भी कार्यका एक बार रीति-रिवाज व मंत्रोच्चार से शिलान्यास हो जाने के बाद उसका पुन: शिलान्यास नहीं होता है, लेकिन प्रधानमंत्री व मुख्यमंत्री झूठी वाहवाही लूटने के लिए रिफाइनरी का पुन: शिलान्यास कर रहे है, जो उचित नहीं है। यह बात सोमवार को डाक बंगले में पूर्वसांसद व एआईसीसी सचिव हरीश चौधरी ने पत्रकार वार्ता में कही। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री
नरेन्द्र मोदी व मुख्यमंत्री ने चार साल तक रिफाइनरी को प्रोजेक्ट को बड़े उद्योगपतियों को फायदा पहुंचाने के लिए लटकाए रखा। इससे प्रदेश को करोड़ों-अरबों का राजस्व नुकसान हुआ। इसके लिए वे जनता से माफी मांगे। मुख्यमंत्री की रिफाइनरी के संबंध में नकारात्मक मंशा अब नहीं, पूर्वमें जाहिर हो चुकी है। रिफाइनरी के प्रोजेक्ट पर पूर्व में जब उच्च न्यायालय ने संज्ञान लेकर भाजपा सरकार से जवाब तलब किया था, उस समय सरकारी वकीलों से उच्चतम न्यायालय से स्टे ले लिया था। प्रधानमंत्री व मुख्यमंत्री की जुमलेबाजी से जनता ऊब चुकी है। मुख्यमंत्री व राजस्व मंत्री पहले रिफाइनरी को घाटे सौदा बता रहे थे, फायदे का सौदा कैसे हुआ। कांग्रेस ने जब रिफाइनरी का एमओयू किया था, उस समय पूर्वमुख्यमंत्री कहा करती थी कि जमीन हमारी, तेल हमारा, पानी हमारा तो 26 फीसदी प्रदेश भागीदारी क्यूं। अब क्या दूसरे एमओयू में प्रदेश की भागीदारी बढ़ाई, अगर नहीं बढ़ाईतो चार साल तक प्रोजेक्ट को लटकाया क्यूं। कांग्रेस ने नमक उत्पादकों की मांगों को मानने के लिए समझौता किया, सरकार उस समझौते को सार्वजनिक करें। पूर्वविधायक मदन प्रजापत ने कहा कि सरकार को जनता के दबाव में आखिरकार झुकना पड़ा। आजादी के बाद सबसे लंबा पैदल रिफाइनरी के लिए किया गया। प्रधानमंत्री अब जश्न मनाने की जगह जनता से माफी मांगे। जुमलेबाजी के अलावा प्रधानमंत्री के पास देश को देने के लिए कुछ नहीं है। अब 16 माह का समय शेष बचा है, इसमें देश के लिए कुछ अच्छा
काम कर लो।
इस अवसर पर महंत निर्मलदास महाराज, सभापति रतनलाल खारवाल, ब्लॉक कांग्रेस कमेटी भंवरलाल भाटी, जिला कांग्रेस कमेटी कोषाध्यक्ष नरेश ढ़ेलडिय़ा, ओमप्रकाश भाटिया, शंकरलाल सलुंदिया समेत कईजने मौजूदथे।
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