निशुल्क दवा केंद्रों पर करीब 400 से अधिक दवाइयां निशुल्क मिलती हैं। लेकिन यहां कई दवाइयां नहीं मिल रही हैं। हालांकि अस्पताल के सब स्टोर के कार्मिक बताते हैं कि उनके यहां दवाइयां नियमित रूप से आ रही हैं। कुछ दवाइयों की कमी जरूर है। जिसकी डिमांड भेजी गई है। फिर भी मरीजों को निशुल्क दवा का पूरा लाभ नहीं मिल रहा है।
40-60 तरह की इवाइयां नहीं आईं कभी निशुल्क दवा केंद्रों पर 400 तरह की दवाइयों में से करीब 40-60 तरह की दवाइयां कभी पहुंची ही नहीं। इसके चलते यहां पर्ची पहुंचते ही फार्मासिस्ट भी परेशान हो जाते हैं। वे खुद मरीज को दवा बदलवाने की सलाह देते हैं।
केंद्र पर नहीं दवा, चिकित्सक लिख रहे निशुल्क दवा केंद्रों पर दवाइयां उपलब्ध नहीं होने के बावजूद चिकित्सकों की ओर से मरीजों को लिखी जा रही हैं। मरीज एक से दूसरे स्टोर पर पर्ची लेकर भटकता है। लेकिन सभी जगह से उसे ना ही मिलती है। मजबूरी में उसे बाहर से दवाइयां खरीदनी पड़ रही हैं।
नहीं देते अल्टरनेट चिकित्सक की ओर से लिखी दवा के साल्ट के अनुसार केंद्रों से दवा दी जाती है। कई बार दवा का अल्टरनेट उपलब्ध होता है। निशुल्क दवा के सब स्टोर के कार्मिकों के अनुसार उनके पास सभी तरह के साल्ट की दवा नहंीं होती है, लेकिन फार्मासिस्ट किसी दवा का अल्टेरनेट दे सकता है। जबकि हकीकत में ऐसा हो नहीं रहा है। जिसका खामियाजा मरीज को भुगतना पड़ रहा है।
केस 1
मरीज रेखा ने गुरुवार को चिकित्सक को दिखाने के बाद निशुल्क केंद्र से दवा ली, लेकिन एक दवा उसे बाहर से खरीदनी पड़ी। मरीज ने बताया कि यह दवा उन्हें अब बाहर से खरीदनी पड़ेगी। हमने तो सोचा था कि सभी दवाइयां निशुल्क मिल जाएंगी। इसलिए दूरी के बावजूद यहां तक आए हैं।
मरीज रेखा ने गुरुवार को चिकित्सक को दिखाने के बाद निशुल्क केंद्र से दवा ली, लेकिन एक दवा उसे बाहर से खरीदनी पड़ी। मरीज ने बताया कि यह दवा उन्हें अब बाहर से खरीदनी पड़ेगी। हमने तो सोचा था कि सभी दवाइयां निशुल्क मिल जाएंगी। इसलिए दूरी के बावजूद यहां तक आए हैं।
केस 2
मानी देवी को चिकित्सक से जांच के बाद परिजन को निशुल्क दवा केंद्र पर मात्र एक दवा मिली। पर्ची में करीब 5-6 दवाइयां लिखी गई। लेकिन मजबूरी में सभी दवाइयां बाहर से खरीदनी पड़ी। ऐसे में मरीज को निशुल्क दवा का कोई लाभ नहीं मिला।
मानी देवी को चिकित्सक से जांच के बाद परिजन को निशुल्क दवा केंद्र पर मात्र एक दवा मिली। पर्ची में करीब 5-6 दवाइयां लिखी गई। लेकिन मजबूरी में सभी दवाइयां बाहर से खरीदनी पड़ी। ऐसे में मरीज को निशुल्क दवा का कोई लाभ नहीं मिला।