प्लास्टिक के बैग में हजारों की संख्या में दुकानों में रखी आइसकैंडी पर न तो समयावधि लिखी गई है और ना ही इसका मापतौल अंकित है। दुकानदार भी अधिक मुनाफ ा कमाने के चक्कर में सस्ती और बिना स्वास्थ्य मानकों की आइसकैंडी मासूमों को बेच रहे हैं।
गुजराती में छपी है जानकारी बाजार में बिक रही आइसकैंडी पर नाम व अन्य जानकारी गुजराती में अंकित है। भाषा अलग होने से बच्चे तो क्या बड़ों को भी यह समझ में नहीं आती है। पत्रिका टीम ने जब एक दुकानदार से आइसकैंडी पर अंकित जानकारी के बारे में पूछा तो वह भी नहीं बता सका। इसके बावजूद दुकानदार इसे धड़ल्ले से बेच रहे हैं। यहां तक की इस पर मूल्य तक अंकित नहीं हैं।
नहीं जांची जा रही गुणवत्ता चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग की ओर से बाजार में बिकने वाले आइसकैंडी आदि के मानक और गुणवत्ता नहीं जांची जा रही है। जिले भर में रोजाना हजारों की संख्या में आइसकैंडी बिक रही है। इसके सेवन से स्वास्थ्य प्रभावित होने का खतरा बना हुआ है, लेकिन इससे मासूम अनजान हैं।
सेवन से हो सकता है नुकसान चिकित्सा विशेषज्ञ के अनुसार घाटिया आइसकैंडी के सेवन से बच्चों के गले में सूजन, पेट दर्द, त्वचा के रोग सहित फूड पॉइजनिंग हो सकती है। इसलिए किसी भी पैकिंग वस्तु पर निर्धारित मानक देखकर ही खरीदनी चाहिए और बच्चों के मामले में इस पर ज्यादा ध्यान देने की जरूरत है।
क्या कहता है नियम किसी वस्तु को पैक करके बेचने पर वस्तु का भार, बनाने की तिथि, अवधि कब पूरी होगी, बनाने वाली फ र्म का नाम, मूल्य आदि अंकित होना आवश्यक है। इसके बिना वस्तुएं बेचना कानूनन जुर्म है। ऐसा करते पाए जाने पर जुर्माने के साथ सजा का प्रावधान भी है।
जिम्मेदारों ने आंखें मूंदी वस्तुओं की गुणवत्ता की जांच के लिए चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग अधिकृत है। साथ ही वस्तुओं की दर, भार आदि की जांच के लिए बाट एवं माप तौल विभाग जिम्मेदार है। लेकिन दोनों ही जिम्मेदारों ने आंखें मूंद रखी है।
ऐसा है तो कार्रवाई की जाएगी आमजन के स्वास्थ्य को लेकर चिकित्सा विभाग सतर्क है। बिना गुणवत्ता की वस्तुएं बेचना कानूनन जुर्म है। कार्मिकों को निर्देश दिए जाएंगे इस पर सख्त कार्रवाई करे। आमजन भी इसकी सूचना चिकित्सा विभाग को दे।
डॉ. कमलेश चौधरी, मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी बाड़मेर