समाज भी उनको आगे बढऩे में अपनी भूमिक बखूबी निभा रहा है। इसी का नतीजा है कि कभी बेटों के मुकाबले बहुत कम संख्या में बेटियां थी, अब आंकड़ा बराबरी तक पहुंच रहा है। प्रदेश में इस साल बाड़मेर जिला वर्तमान में बेटियों के लिंगानुपात में सबसे आगे है।
थार में पिछले कुछ सालों में आए बदलाव के चलते बेटी के जन्म पर थाली बजाई जा रही है। वहीं बेटियों को गोद लेने वाले भी बढ़े हैं। बेटियों के प्रति सोच में काफी बदलाव आया है। बेटियां बाड़मेर में अलग-अलग क्षेत्रों में नाम रोशन कर रही है।
एक साल में अप्रत्याशित बढ़ोतरी पिछले साल की तुलना में इस साल बाड़मेर में बेटों के मुकाबले बेटियां बढ़ी हैं। प्रदेश में इस साल लिंगानुपात में सबसे आगे बाड़मेर है। बाड़मेर में 1000 बेटों के मुकाबले पिछले साल तक आंकड़ा 954 था जो अब बढ़कर 982 तक पहुंच गया है। यह सुखद स्थिति है।
ऐसे भी हैं उदाहरण बाड़मेर शहर के शरणार्थी बस्ती के रहने वाले मगाराम के पुत्र है। लेकिन उनके कोई बेटी नहीं थी। इस पर उन्होंने अपने भाई की बेटी को गोद लिया। ऐसे और भी कई उदाहरण हैं, जो बेटियों के लालन-पालन में अपना सब कुछ न्यौछावर कर रहे हैं। इसी मूल भावना से थार में कभी पिछड़ी रही बेटियां आगे बढ़ रही हैं।
खेल और शिक्षा में बेटियां आगे प्रोत्साहन मिलने पर बेटियां आगे बढ़ रही हैं। बाड़मेर में खेलों में भी बेटियां कई क्षेत्रों में तो बेटों से काफी आगे हैं। पदक जीत कर ला रही बेटियां देश-प्रदेश में बाड़मेर का नाम रोशन कर रही हैं। वहीं शिक्षा में भी नाम कमा रही हैं। इस साल बोर्ड परीक्षाओं में भी बेटियां का सफलता प्रतिशत बेटों से अधिक रहा।
स्कूलों में बढ़ा बेटियों का नामांकन बाड़मेर के तीन ब्लॉक में बेटियों का नामांकन स्कूलों में अधिक है। बाड़मेर जिले के बालोतरा, कल्याणपुर व समदड़ी में बेटों से ज्यादा सरकारी स्कूलों में बेटियां पढ़ रही हैं।
पिछले सालों पर एक नजर साल लिंगानुपात
2011-12 888 2012-13 838
2013-14 890 2014-15 949
2015-16 956 2016-17 958
2017-18 954 2019-20 (अगस्त तक) 982