scriptजर्रे-जर्रे से गूंजता है-इंकलाब जिंदाबाद…इंकलाब जिंदाबाद | It resonates with every word - Inquilab Zindabad...Inquilab Zindabad | Patrika News

जर्रे-जर्रे से गूंजता है-इंकलाब जिंदाबाद…इंकलाब जिंदाबाद

locationबाड़मेरPublished: Nov 16, 2021 12:07:14 pm

Submitted by:

Ratan Singh Dave

शहीद-ए-आजम भगतसिह का गांव– एक लाख लोग चूमते हर साल शहीद भगतसिंह के घर की चौखट

जर्रे-जर्रे से गूंजता है-इंकलाब जिंदाबाद...इंकलाब जिंदाबाद

जर्रे-जर्रे से गूंजता है-इंकलाब जिंदाबाद…इंकलाब जिंदाबाद

शहीद-ए-आजम भगतसिह का गांव-
जर्रे-जर्रे से गूंजता है-इंकलाब जिंदाबाद…इंकलाब जिंदाबाद
– एक लाख लोग चूमते हर साल शहीद भगतसिंह के घर की चौखट
रतन दवे
खटकड़ कल्लां(पंजाब).
देश के गर्व और गौरव शहीद-ए-आजम भगतसिंह के घर की चौखट को हर साल करीब एक लाख लोग आकर चूमते है। गांव की मिट्टी को मस्तक पर लगाकर घर ले जाते है। इस गांव के जर्रे-जर्रे में गंूजता है इंकलाब जिंदाबाद…इंकलाब जिंदाबाद। गौरव इस बात का भी कीजिए कि शहीद-ए-आजम ने जिस पिस्टल से जॉन सोंडर्स पर गोली चलाई थी,वह भी भगतङ्क्षसह म्युजियम में आ चुकी है और भगतङ्क्षसह की हैट से लेकर उनके लिखे खत तक पढ़ते हुए हिन्दुस्तान से आने कोने-कोने से आने वाले हजारों लोगों को यहां फक्र और सकून होता है कि शहीद का गांव तीर्थस्थल से कहीं कम नहीं है।
पंजाब के बंगा शहर के पास में ही है खटकड़ कल्ला जहां 1907 में भगतङ्क्षसह का जन्म हुआ था। भगतसिंह की मां यहां 1975 तक रही। यह घर राष्ट्रीय धरोहर में है। इस गांव पहुंचने वाले के दिलो-दिमाग में पहले से ही शहीद-ए-आजम के प्रति इतना गर्व, गौरव और भाव होता है और फिर गांव में प्रवेश होते ही कुछ घरों की छतों पर भगतसिंह और सुखदेव के आदमकद पुतले और तिरंगा नजर आता है तो सीना चौड़ा होने लगता है। दीवारों और मीनारों पर भी शहीद के फोटो नजर आते है।
खुशनसीब चौखट का पत्थर..
शहीद भगतसिंह के परिवार की ही अमरकौर कहती है कि वो मेरे ताया थे…यह पूछने पर कि कितने लोग आते है..आंखें भरते हुए बोलती है शुक्रिया हिन्दुस्तान..अनगिनत…। करीब सत्तर साल की अमरकौर की मु_ियां भींच गई और हाथ ऊंचे करते हुए बोली, बोलो-इंकलाब जिंदाबाद। घर के आगे लिखा है शहीद भगतसिंह का घर एक राष्ट्रीय स्मारक। छोटा सा प्रवेश द्वार है,जिसकी चौखट पर कितने ही सिर आज तक सजदा हो गए और चूम लेते है..लगता है यह पत्थर कितना खुशनसीब है जो भगतसिंह के घर के आगे लगा है..रोज चूमा जाता है।
कुआं..आंगन और सबकुछ भगत…
घर के आंगन में एक कुआं है..इसे अब सीमेंट से भर दिया गया है। चार कमरों के मकान में भगतसिंह और उनकी मां की जिंदगी से जुड़ी सामान रखा है। चारपाई, आटा पीसने की पत्थर की चक्की पीतल के बर्तन और कई सामग्रियां।
हैट और सैल्यूट-तन जाता है सीना
नजर पड़ती है एक अलमारी पर…भगतसिंह की हैट..और कोई कुछ नहीं बोलता। सीना तन जाता है और फिर सेल्यूट। हर किसी की आंखों में इस वक्त गौरवमिश्रित डबडबे आंसू नजर आते है।
म्युजियम जीता-जागता
भगतसिंह म्युजियम गांव में ही बना है जहां पर भगतसिंह के जीवन से जुड़ी जानकारियां, जलियांवाला बाग, पुलिस हैडक्वाटर के सामने ब्रिटिश अधिकारी को मारने के जीवंत दृश्य है। आने वाले लोग यहां पहुंचकर भी गौरवान्वित हो रहे है।
हमें गर्व है
हमें गर्व है कि हम इसी मिट्टी के है। पंजाब नहीं पूरे देश के युवाओं में शहीद भगतङ्क्षसह पर फक्र है। भगतसिंह तो पूरे देश के है।- परविंदर लापरा
खुशनसीब है
हम लोग खुशनसीब है कि हम इसी क्षेत्र के है। भगतङ्क्षसह हमारे यहां जन्मे यही बड़ी मेहर है। हिन्दुस्तान सबसे ज्यादा प्यार भगतसिंह,सुखदेव और चंद्रशेखर आजाद को करता है।- फतेहसिंह, लुधियाना
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो