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बाड़मेर

श्वानों के चंगुल में वन्य जीवों की जान

जिम्मेदार कब देंगे ध्यान
– वन क्षेत्र में श्वानों का बढ़ रहा कुनबा चिंकारा सहित अन्य वन्यजीवों के लिए खतरा

बाड़मेरOct 05, 2021 / 01:27 am

Dilip dave

श्वानों के चंगुल में वन्य जीवों की जान

श्वानों के चंगुल में वन्य जीवों की जान

, दिलीप दवे बाड़मेर. शांत व सुकून के प्राकृतिक माहौल में स्वच्छंद विचरण करने वाले वन्य प्राणियों पर श्वानों का खतरा मंडरा रहा है। वन्य क्षेत्र के आसपास के गांवों में श्वानों की तादाद दिनोंदिन बढ़ रही है।
गांव की गलियों से वनों की ओर उनके बढ़ते कदम वन्य जीवों चिंकारा, लोमड़ी, खरगोश, नीलगाय, राष्ट्रीय पक्षी मोर के लिए खतरा बन गए हैं। जिले के कुड़ी क्षेत्र में जहां वन्य जीव आबादी क्षेत्र के आसपास विचरण करते हैं, वहां श्वानों का शिकार बन रहे हैं। श्वानों की संख्या में कमी लाने के लिए बंध्याकरण या फिर श्वानों को पकडऩे अभियान चला कर घटनाओं को कम किया जा सकता है, लेकिन अभी तक इस ओर ध्यान नहीं दिया गया है जिस पर वन्य जीवों की तादाद घटने का अंदेशा जताया जा रहा है।
बालोतरा उपखंड क्षेत्र के कुड़ी,डोली, भांडियावास,उमरलाई, सूरजननगर, परालिया, ग्वालनाडा, गोदावास, घड़सीवाडा, हाणडलीनाड़ी के आसपास आए गांवों में घूमने वाले श्वान वन्य क्षेत्र में पहुंच रहे हैं। जिस पर वन्य जीवों पर हमले की घटनाएं आए दिन सामने आ रही हैं।
श्वानों की संख्या ज्यादा होने से यह ग्रामीण क्षेत्रों से वन्य क्षेत्रों में आवागमन कर रहे हैं। रोकने का नहीं कोई विकल्प- चिंकारा, लोमड़ी, खरगोश, मोर आदि वन्य जीव बालोतरा क्षेत्र में श्वानों का शिकार हो रहे हैं। इसके बावजूद इन पर अंकुश लगाने का कोई विकल्प अब तक नहीं मिला है। वन्य क्षेत्र के आसपास के गांवों में पशुपालन विभाग के सहयोग से बंध्याकरण या फिर श्वानों का पकडऩे का अभियान चलाया जाए तो वन्यजीवों की जिंंदगी की सुरक्षा मिल सकती है।
शिकार पर अंकुश पर श्वानों का शिकार- स्थानीय बाशिंदों की सजगता व वन विभाग की मुस्तैदी के चलते शिकार की घटनाओं पर अंकुश जरूर लगा है, लेकिन आए दिन आवारा श्वान हरिणों पर हमला कर उन्हें काल का ग्रास बना देते हैं। ऐसे में क्षेत्र में धीरे-धीरे इनकी संख्या कम होती जा रही है। वहीं, समय पर उपचार नहीं मिलने की स्थिति में घायल वन्यजीवों की मौत हो जाती है।
बारिश ला रही मौत का पैगाम- बारिश होने पर गांवों में नाडी, तालाब भर जाते हैं, जिस पर वन्य जीव प्यास बुझाने वहां आते हैं। इस दौरान श्वान झुंड बना कर उन पर हमला कर देते हैं, विशेष कर चिंकारा उनके शिकार बनते हैं। क्योंकि बारिश में मिट्टी चिकनी हो जाती है और चिंकारा के खुर इसमें फंसने पर वे भाग नहीं पाते।
चिंकारा को सर्वाधिक खतरा- पिछले कुछ वर्षों से बालोतरा उपखंड क्षेत्र के कुड़ी, पटाऊ खुर्द, डोली क्षेत्र में श्वान चिंकारों के लिए खतरा बन गए हैं। एक-दो साल में 50 के करीब चिंकारे इनका ग्रास बन चुके हैं। वन विभाग को इस मामले को गंभीरता से लेना चाहिए अन्यथा वन्यजीवों की तादाद घट सकती है।– राकेश चांपाणी, वन्य जीव प्रेमी कुड़ी
हमारी तरफ से सुरक्षा के पूरे प्रयास- हमारी तरफ से वन्य जीवों की सुरक्षा के पूरे प्रयास है जिसके चलते शिकार पर अंकुश लगा है। श्वानों की तादाद गांवों में बढ़ रही है वन्य जीवों का शिकार कर रहे हैं। – एम आर विश्नोई, क्षेत्रीय वन अधिकारी बालोतरा

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