ऐसे में जल्द दवा मिले और फुर्ती से इलाज शुरू हो जाए इस उम्मीद में परिजन भागकर पहुंचते हैं, लेकिन यहां लम्बी लाइन उनकी चिंता को और बढ़ा देती है। कहने को तो यहां पांच काउंटर है लेकिन दो दुकानें बंद होने से अस्पताल समय में दो दुकानों पर ही दवाइयां मिलती है।
इस पर नम्बर के इंतजार में मरीजों की तो क्यों परिजन की भी सांसे सूख जाती है। राजकीय अस्पताल बाड़मेर में डेंगू, वायरल बुखार, खांसी-जुकाम के चलते ओपीडी बढ़ चुकी है तो अस्पताल में मरीजों के लिए बेड अब कम पडऩे जैसी स्थिति हो रही है। इस बीच भर्ती मरीज हो या चैकअप के दवा लेने वाले को निशुल्क दवा योजना के तहत दवाई की दुकानों पर आना होता है जहां दो दुकानें बंद होने से हर वक्त शेष काउंटर पर इतनी लाइन लग रही है।
खुले ताले तो मिले राहत- इन दिनों मरीजों की तादाद बढऩे से यदि दोनों दुकानें नियमानुसार तीन बजे तक खुली रहे तो एक दुकान पर न केवल भीड़ कम होगी वरन मरीजों को भी बीमारी के लाइन में लगने की मजबूरी से राहत मिल सकेगी।
सात खुल रही और के लिए भेजा प्रस्ताव– सात दुकानों की स्वीकृति है जिसमें से दो महिला व बच्चों के लिए, एक सीनियर सिटीजन के लिए तथा एक इमरजेंसी की दुकान है। मुख्य द्वार के पास तीन दुकानें नियमित खुलती है। अगर बंद होगी तो खोलने के निर्देश दिए जाएंगे। ओपीडी की तादाद को देखते हुए एक-दो दुकानें और खोलना का प्रस्ताव भेजा हुआ है।– डॉ. बी एल मंसुरिया, अधीक्षक, राजकीय मेडिकल चिकित्सालय बाड़मेर