scriptलग रहे ताले, बिक रहे शिक्षालय | Looks like locks, selling school | Patrika News
बाड़मेर

लग रहे ताले, बिक रहे शिक्षालय

– कोरोना का असर: निजी विद्यालय चलाना हुआ मुश्किल- फीस अटकी तो नया सत्र भी नहीं हुआ शुरू- भवन किराया, बसों की किस्तें व अन्य खर्च उठाने में आ रही दिक्कत- संचालक कर रहे हाथ खड़े

बाड़मेरAug 06, 2020 / 07:52 pm

Dilip dave

लग रहे ताले, बिक रहे शिक्षालय

लग रहे ताले, बिक रहे शिक्षालय



दिलीप दवे
बाड़मेर. कोरोना संक्रमण के बीच अनलॉकडाउन प्रक्रिया के कारण भले ही जिंदगी पटरी पर लौटती नजर आ रही है, लेकिन शिक्षा में अभी लॉकडाउन ही है। स्कूल, कॉलेज अभी भी बंद है। इसका असर निजी शिक्षण संस्थान पर नजर आ रहा है। बाड़मेर जिले में कम छात्र संख्या वाले विद्यालय संचालक को स्कूल पर ताले लगाने की सोच रहे हैं।वहीं, उच्च प्राथमिक, माध्यमिक एवं उच्च माध्यमिक स्तर की कई स्कूलें बेचने की जुगत में संचालक है।
कोरोना के चलते 22 मार्च को देश में लॉकडाउन लग गया। लॉकडाउन के चलते करीब दो माह तक देश के लोग घरों में कैद रहे। इस कारण पूरे देश थम गया। इसके बाद अनलॉकडाउन शुरू हुआ तो देश ने फिर से रफ्तार पकड़ी है। बावजूद इसके शिक्षा क्षेत्र में लॉकडाउन का असर अब भी नजर आ रहा है। क्योंकि सरकार ने स्कूल, कॉलेज में विद्यार्थियों की छुट्टियां कर रखी है। विद्यार्थियों की छुट्टियों व परीक्षाएं नहीं होने से निजी शिक्षण संस्थानों की आर्थिक स्थिति डगमगा गई है। जिले में करीब तीस विद्यालय ऐसे हैं, जिन पर ताले लगाने की तैयारी चल रही है। क्योंकि छह माह से बच्चे नहीं आ रहे हैं और फीस अटकी हुई है। वहीं, करीब दो दर्जन उच्च प्राथमिक, माध्यमिक एवं उच्च माध्यमिक विद्यालयों को संचालक बेचने में जुटे हुए हैं। बाड़मेर शहर में करीब दस विद्यालय ऐसे हैं, जिनको बेचने की बात बाजार में आ रही है।
कुछ विद्यालय बिके- जिले में कुछ विद्यालय औने-पौने दामों में बिक चुके हैं तो कुछ संचालक भाव-ताव कर रहे हैं। गौरतलब है कि निजी विद्यालयों का संचालक संस्थान की कार्यकारिणी के मार्फत होता है, लेकिन हकीकत में उसका संचालक एक व्यक्ति ही निजी तौर पर करता है। ऐसे में नई कार्यकारिणी का गठन कर संचालक का जिम्मा उन्हें देकर संचालक विद्यालय बेच रहे हैं।
अमान्यता प्राप्त स्कूलें हो रही बंद- जानकारी के अनुसार प्ले ग्रुप स्तरीय स्कूल की मान्यता की जरूरत नहीं होती है। प्ले गु्रप वाली स्कूलें बंद हो रही है। क्योंकि संचालकों को लग रहा है। कोरोना के बढ़ते असर का कारण सितम्बर तक भी शायद ही पांचवीं तक के विद्यालयों को संचालन की मान्यता मिले।
किराया, किस्त भी पड़ रही गले- जिन निजी विद्यालयों ने किराए पर भवन ले रखा है। स्कूल बसों को किस्तों पर लिया हुआ है, उनको पिछले छह माह से किराया चुकाने व किस्त जमा करवाने में दिक्क आ रही है।
नौ से अधिक निजी विद्यालय- बाड़मेर जिले में 704 मान्यता प्राप्त निजी विद्यालय है। वहीं करीब दो सौ विद्यालय गैर मान्यता प्राप्त है। इनमें से अधिकांश किराए के भवन में चल रहे हैं, जिनके संचालकों के लिए स्कूल चलाना मुश्किल हो रहा है।
सरकार को करनी चाहिए सहायता- पिछले छह माह से स्कूलों पर ताले लगे हुए हैं। फीस मिल नहीं रही तो भवन किराया व बसों की किस्तें कैसे भर पाएंगे। ऐसे में निजी स्कूलों पर ताले लगाने की नौबत आ रही है। सरकार से अपील है कि निजी विद्यालयों को आर्थिक पैकेज दे जिससे कि संचालकों को मदद मिल सके।- बालङ्क्षसह राठौड़, जिलाध्यक्ष निजी शिक्षण संस्थान संघ बाड़मेर

Home / Barmer / लग रहे ताले, बिक रहे शिक्षालय

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो