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बाड़मेर

बड़ी खबर : खुदाई करते वक़्त 25 फीट नीचे मिट्टी में दबा युवक, 4 घंटे से चल रहा है रेस्क्यू ऑपरेशन

Rescue Operation in Barmer : बाड़मेर के शिवकर गांव में एक युवक रेत के 25 फीट नीचे दबा है और 4 घंटे से उसको निकालने के लिए प्रयास किए जा रहे है। प्रशासन का रेस्क्यू ऑपरेशन प्रारंभ होने के बाद 20 फीट की खुदाई हो चुकी है लेकिन अभी तक युवक तक नहीं पहुंचे है।, 4 घंटे से दबा है मिट्टी में

बाड़मेरMay 22, 2019 / 02:23 pm

rohit sharma

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बाड़मेर।

बाड़मेर के शिवकर गांव में एक युवक रेत के 25 फीट नीचे दबा है और 4 घंटे से उसको निकालने के लिए प्रयास किए जा रहे है। प्रशासन का रेस्क्यू ऑपरेशन ( rescue operation in Barmer ) प्रारंभ होने के बाद 20 फीट की खुदाई हो चुकी है लेकिन अभी तक युवक तक नहीं पहुंचे है।
बाडमेेर के शिवर का गांव रामाराम पुत्र मांगीलाल माली सुबह 10 बजे गांव में बेरी बनाने को उतरा था। 25 फीट खोदी जा चुकी बेरी का बुधवार को पक्का सीमेंट का काम प्रारंभ हुआ था। काम शुरू ही किया था कि अचानक बेरी ढह गई और युवक इसमें दब गया। सूचना मिलते ही गांव में हड़कंप मच गया और जिसने सुना वह इस ओर भागा। इसकी सूचना प्रशासन को दी गई।
मौके पर चार जेसीबी पहुंचे है और चार घंटे से चल रहे ऑपरेशन रेस्क्यू के बावजूद अभी तक युवक नहीं मिला है। जिला कलक्टर हिमांशु गुप्ता और पुलिस अधीक्षक राशि डूडी डोगरा भी मौके पर ही है। मौके पर भारी भीड़ जमा है। हर कोई दुआ कर रहा है कि वह जिंदा निकल जाए। परिजनों का हाल खराब है। वे प्रार्थना करने के साथ ही आंसू नहीं थाम पा रहे है।
चार जने गए थे सुबह काम पर

ग्रामीणों ने बताया कि सुबह दो मजूदर और रामाराम और उसका भाई चार जने काम पर गए थे। तीन लोग बाहर थे और रस्सी कमर पर बांधकर रामाराम ही अंदर उतरा था। अचानक बेरी ढह जाने से रामराम अंदर रह गया। रामाराम के कमर पर रस्सी बंधी हुई है और उसका एक सिरा बाहर है।
इसलिए बनाई थी बेरी

जिले में पानी के प्रबंध के लिए जहां सरकारी सिस्टम नहीं है वहां ग्रामीण अपने स्तर पर ऐसी जगह पर बेरियां बनाते है जहां उनको पानी का अनुमान है। इन बेरियों की चौड़ाई सात से आठ फीट और गहराई 25 से 35 फीट तक रहती है। इतना बड़ा गड्ढा करने के बाद जब पानी मिल जाता है तो इस बेरी को पक्का बांधने के लिए टांके की तरह पत्थर और सीमेंट लगाए जाते है। फिर इस पर कुएं की तरह छोटी रहट लगाकर पानी निकाला जाता है। प्रतिदिन भूमिगत पानी रिचार्ज होकर आता है और पच्चीस पचास घड़े पानी नसीब हो जाता है।
बेरियों का निर्माण इसी मायने में खतरा माना जाता है कि जब इनकी खुदाई हो जाए इसके बाद बांधने तक बेरी ढहनी नहीं चाहिए। बेरी ढहते ही जो अंदर है उसका दबना तय है। हालांकि ऐसी घटनाएं रेगिस्तान में बहुत ही कम है।

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