— बूंद-बूंद सिंचाई अपनाने की सलाह- कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार जिले में किसान बूंद-बूंद सिंचाई, फव्वारा पद्धति को अपनाएं तो पानी की समुचित उपयोग हो सकता है। गौरतलब है कि जिले में ओपनवैल, ट्यूबवैल के साथ नर्मदा नहर से सिंचाई होती है। इसमें से नर्मदा नहर से सिंचाई 5.15 फीसदी क्षेत्रफल में है।
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तीन लाख हैक्टेयर में रबी की बुवाई जिले में करीब तीन लाख हैक्टेयर में रबी की बुवाई होती है। इसमें जीरा, इसबगोल, गेहूं, जौ, रायड़ा, तारामीरा, चना, मैथी आदि प्रमुख फसलें हैं। जीरा और ईसबगोल तो बाड़मेर का विश्व प्रसिद्ध है।
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बूंद-बूंद पद्धति को अपनाएं- किसान बूंद-बूंद सिंचाई पद्धति को अपनाएं। इससे पानी की बचत होगी तो फसलों को भी फायदा मिलेगा। इस बार खरीफ की बुवाई कम होने से अकाल जैसी स्थिति है। एेसे में पानी की बचत बेहद जरूरी है। – डॉ.प्रदीप पगारिया, कृषि अधिकारी, कृषि विज्ञान केन्द्र गुड़ामालानी
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यों बढ़ा रबी का आंकड़ा वर्ष क्षेत्रफल हैक्टेयर
1990-91 50,000 1991-92 53,000
1992-93 58,000 1993-94 74,000
1996-97 1,30,000 2001-02 1,50,000
2005-06 2,00,000 2013-14 2,40,000
2014-15 2,50,000 2015-16 2,85,000
2016-17 3,12,000