कोचिंग क्लासेज किराए के भवनों में चल रही हैं जहां फायर फाइटिंग दूर की कौड़ी है। अधिकांश कोचिंग संस्थान तो आवासीय भवन ही चल रहे हैं। शहर की बहुमंजिला इमारतों में तो नियमों को तोड़-मरोड़कर रख दिया गया है। पार्र्किंग को जगह अव्वल तो रखी नहीं है। रखी है तो वहां पार्र्किंग नहीं हो रही। खुद नगरपरिषद के पालिका बाजार में पार्र्किंग पर अवैध दुकानें चल रही हैं। अधिकांश इमारतों में फायर फाइटिंग सिस्टम नहीं है।
शहर के बड़े-बड़े रेस्टोरेंट , मिठाई की दुकानों में रसोड़े तीन-चार मंजिला भवनों में अंडरग्राउण्ड या भवन के किसी अन्य भाग में लोगों की जान जोखिम में डालकर नियम विरूद्ध बिना फायर फाइटिंग सिस्टम के धड़ल्ले से चल रहे हैं।
बाड़मेर शहर के मुख्य बाजार में 500 से अधिक एेसे भवन हैं। बालोतरा में भी यही हाल है। दोनों ही शहरों में बड़े हादसे बीते सालों में हो चुके हैं। बालोतरा में पांच साल पहले दीपावली के दिन 8 लोगों का जिंदा जलना शहर आज तक नहीं भूला है। बाड़मेर में कृषि मण्डी की आग में दुकानें स्वाह हो गई। यहां एक बड़ी इमारत में लगी आग गनीमत रही कि समय रहते बुझ गई वरना 70 परिवार घिर चुके थे।
नगरपरिषद इन मामलों को लेकर नोटिस देने तक सीमित है। फिर पता नहीं कौनसा दबाव आता है कि जुबान चुप और नोटिस रफा-दफा। प्रशासन भी इन बड़ी इमारतों के नियम कायदों की जांच नगरपरिषद को सौंपकर इतिश्री कर लेता है,अब बिल्ली को ही दूध की रखवाली दी जाए तो क्या होगा? सूरत हादसे के बाद शिक्षा विभाग पहली जिम्मेदारी ले कि स्कूलों व कोचिंग में फायर फाइटिंग सिस्टम नहीं है तो सख्त कार्यवाही हो।
ये स्कूल पहली जुलाई को तभी खुलंे जब इनके पास फायर फाइटिंग का पूरा सिस्टम हो। शहर में संचालित हो रहे निजी व सरकारी अस्पतालों में बीमार दाखिल हैं,यहां फायर फाइटिंग सिस्टम नहीं है तो मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी की सख्ती जरूरी है। बड़ी इमारतों व रेस्टोरेंट के खिलाफ जब तक बड़ा कदम नहीं उठाया जाएगा तब तक मानने वाले नहीं हैं।
यह बीड़ा स्वयं जिला कलक्टर को उठाना चाहिए और बिना किसी लाग- लपेट के कह दिया जाए कि फायर फाइङ्क्षटग सिस्टम नहीं होगा बात नहीं बनेगी। सूरत हादसा ांखों में पानी लाया है तो जरूरी है कि अब आंखों में रंग रखते हुए सालों से चली आ रही घोर अंधेरगर्दी को आंख दिखाई जाए।
कोई कितनी भी बड़ी इमारत का मालिक क्यों न हो लोगों की जान से बड़ा नहीं हो सकता। प्रशासन यही समझकर बाड़मेर को फायर फाइटिंग सिस्टम लागू करवाए,वरना हम हादसों के बाद मॉक ड्रिल करते रह जाएंगे और हाथ कुछ नहीं लगेगा..।