फरवरी के पहले सप्ताह के बाद जिले में स्वाइन फ्लू का कोई नया रोगी सामने नहीं आया है। अस्पताल में स्वाइन फ्लू जांच में नमूने जरूर लिए जा रहे हैं, लेकिन मरीजों की रिपोर्ट नेगेटिव आई है। ओपीडी में आने वाले कुछ मरीजों को जरूर अभी टेमी फ्लू दी जा रही है।
मरीज इतने की फर्श पर बैठ करते हैं इंतजार अस्पताल में बैंचें तो लगाई गई हैं, लेकिन मरीजों की संख्या सैकड़ों में होने के कारण ओपीडी में फर्श पर बैठकर बारी का इंतजार करना पड़ रहा है। इस कारण अस्पताल के बरामदे मरीजों से भरे नजर आते हैं। कुछ यही हाल अस्पताल की प्रथम तल की ओपीडी का भी है।
चिकित्सकों से ऊपर हो गए निशुल्क दवा फार्मासिस्ट अस्पताल में निशुल्क काउंटर पर भी मरीजों को पूरी दवाइयां नहीं मिलती हैं तो कई मामलों में फार्मासिस्टों की मनमर्जी सामने आई है। निशुल्क दवा काउंटर पर चिकित्सक की ओर से निर्धारित दवा की मात्रा से भी फार्मासिस्ट ने मरीज को कम दवा दी।
इसके चलते मरीज काफी देर तक भटकता रहा। चिकित्सक सुबह-शाम दवा लेने की पर्ची में अंकित कर रहे हैं। फार्मासिस्ट इससे परे जाकर मरीज को दिन में केवल एक टेबलेट के हिसाब से दवा दे रहे हैं। इस स्थिति में मरीज परेशान होते हैं और उनकी कोई सुनने वाला भी नहीं है।
बच्चे भी आ रहे चपेट में छोटे बच्चे इस मौसम में सबसे अधिक प्रभावित हो रहे हैं। ओपीडी में छोटे बच्चे ज्यादा आ रहे हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि बच्चों की देखभाल ऐसे मौसम में बहुत अधिक जरूरी हो जाती है। अभी सुबह-शाम सर्दी का असर बना हुआ है, इसलिए ऐहतियात बरतनी चाहिए। जिससे बच्चों को बीमार होने से बचाव किया जा सके।