कार्यक्रम प्रबंधक हनुमान राम चौधरी ने बताया कि दुग्ध उत्पादकों के खेतों में नेपियर घास लगने से हरे चारे की समस्या का स्थायी समाधान संभव है। एक बार पौधा विकसित होने पर निरंतर सात साल तक हरा चारा देता है।
एक पौधा वर्ष में चार बार कटाई करने से 1 मण हरा चारा देता है। उन्होंने बताया कि बाड़मेर एवम जालोर जिले की 21 ग्राम पंचायतों के 27 गांवों के 1063 सदस्यों को नेपियर घास के 26575 डंठल निशुल्क वितरण किए गए। शेष रहे गांवों के 850 सदस्यों को 25000 नेपियर घास के डंठल तृतीय चरण में निशुल्क वितरण करने का ओर लक्ष्य है।
सहायक परियोजना समन्वयक माला राम गोदारा ने बताया कि नेपियर घास से पशुओं में रोग प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि के साथ पशु स्वस्थ रहते हैं। सुपरवाइजर सोनाराम चौधरी ने पशुपालकों को नेपियर घास के डंठल खेत में लगाने की जानकारी दी।
कांधी की ढाणी समिति सचिव भीमाराम देवासी ने कहा कि नेपियर घास पशुपालकों के लिए वरदान बनेगी। माला राम गोदारा, सोनाराम चौधरी, देवाराम मेघवाल, छगन लाल मेघवाल, छोगा राम माली, चंदन सिंह राठौड़ आदि ने सहयोग किया।