सिंह ने कहा कि बारिश का पानी अधिक से अधिक संरक्षित करना होगा। केन्द्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं अध्यक्ष डॉ. विनय कुमार ने कहा कि धरती पर पीने योग्य पानी मात्र तीन फीसदी है जो घटता जा रहा है। ऐसे में इसको संरक्षित करना मात्र विकल्प है।
शस्य वैज्ञानिक श्याम दास ने कहा कि हमें अपने जलवायु क्षमता अनुसार का पानी, कम समय व कम समय में पकने वाली फसलों का चुनाव करना चाहिए । पशुपालन वैज्ञानिक बी. एल. डांगी ने जानवरों के लिए प्रतिदिन उपयोग होने वाले पानी खर्च का विश्लेषण प्रस्तुत करते हुए कहा कि बाड़मेर जैसी जलवायु के लिए गाय, बकरी, भेड़ व मुर्गीपालन ही फायदे का सौदा है।
कार्यक्रम का संचालन करते हुए केन्द्र की गृह वैज्ञानिक डॉ. सोनाली शर्मा ने घरो से बर्तन, कपडे आदि से निकलने वाले पानी से गृह वाटिका लगाने की जानकारी दी