जान जोखिम में डाल सफर करते यात्री- जोधपुर-बाड़मेर रेलमार्ग पर संचालित साधारण रेलगाडिय़ों में 9 से 10 रेल डिब्बे लगते हैं। यह संख्या लम्बे समय से है जबकि इस दौरान यात्रियों की तादाद कई गुणा बढ़ गई। बीते वर्षों में इक्का- दुक्का डिब्बे बढ़ाएं हैं। वे यात्रियों की उमड़ती भीड़ पर नाकाफी साबित हो रहे हैं। सामान्य दिनों में भी सीट नहीं मिलने पर यात्री पैरों पर खड़े रहकर लंबी यात्रा करते हैं। अवकाश, पर्व, शुक्ल पक्ष, वैवाहिक सीजन में उमड़ती भीड़ पर डिब्बे में सवार होना चुनौती बन जाता है। लोग जैसे-तैसे सवार होकर व पायदान पर खड़े रहकर सफर करते हंै। हर समय जान पर खतरा मण्डराया रहता है। इस पर लंबे समय से रेलगाड़ी में डिब्बों की बढ़ोतरी की जरूरत महसूस की जा रही है, लेकिन रेलवे के इस ओर
ध्यान नहीं देने से आमयात्री में रोष है।
अतिरिक्त रेल डिब्बे लगाएं-
रेलगाडिय़ां सामान्य दिनों में भी यात्रियों से खचाखच भर कर दौड़ती हैं। जगह नहीं मिलने पर घंटों पैरों पर खड़ा रहना पड़ता है। रेलवे रेलगाडिय़ों में अतिरिक्त रेल डिब्बे लगाएं।-
सीताराम खत्री, यात्री रेलगाडि़यों की तादाद भी कम- जोधपुर-बाड़मेर रेलमार्गपर रेलगाडिय़ां पहले से कम है। यात्रियों की भीड़ पर डिब्बे कम पड़ रहे हैं। हर दिन लोग परेशानी उठाते हैं।-
खीमाराम मेघवाल, यात्री रेलवे का दावा उल्टा- रेलवे यात्री सुविधा को लेकर बड़े-बड़े दावा करता है, लेकिन हकीकत उल्टा है। जोधपुर-बाड़मेर रेलमार्ग पर संचालित रेलगाडिय़ों में यात्रियों की भीड़ पर इनमें सवार होना मुश्किल हो गया है। अनहोनी का खतरा रहता है।-
राजेन्द्र चौधरी