मिड डे मील में भी विद्यार्थियों की उपस्थिति ८० प्रतिशत तक पहुंच रही है। इतनी उपस्थिति के चलते यहां मिड डे मील सामग्री का उठाव भी अधिक हो रहा है। इसके अलावा मिड डे मील के लिए कुक कम हैल्पर के लिए र्इंधन व अन्य सामग्री का बजट भी ज्यादा है।
सर्वशिक्षा एवं रमसा की ओर से स्कूलों में गुणवत्ता की जांच के लिए साल में तीन से चार बार स्कूलों में अधिकारी पहुंचते हैं। तब उपस्थिति ४० से ५० प्रतिशत होती है और कई स्कूलों में तो ताले लगे नजर आते हैं। एेसे में प्रश्न खड़ा हो गया है कि दूध-रोटी के लिए आने वाले ९० प्रतिशत विद्यार्थी इस दौरान कहां गायब हो जाते हैं। शिक्षा विभाग के लिए चिंतनीय पहलू, मॉनिटरिंग पर खड़ा हो रहा प्रश्न : उपस्थिति को लेकर कागजी घोडे़ दौड़ाने का खेल .