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बाड़मेर

दूध-रोटी में 90 प्रतिशत, तो गुणवत्ता में 40 प्रतिशत

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बाड़मेरSep 19, 2018 / 03:49 pm

ओमप्रकाश माली

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दूध-रोटी में 90 प्रतिशत, तो गुणवत्ता में 40 प्रतिशत

बाड़मेर.
जिले के सरकारी स्कूलों में विद्यार्थियों की उपस्थिति को लेकर प्रश्नचिन्ह खड़ा हो गया है। यहां दूध पीने और मिड डे मील (रोटी) में तो ८५ से ९० प्रतिशत तक बच्चों की उपस्थिति आ रही है, लेकिन गुणवत्ता जांच के वक्त अफसर पहुंचने पर ४० प्रतिशत विद्यार्थी ही मिलते हैं। जिले की औसत उपस्थिति ७५ प्रतिशत मानते हुए दूध का बजट जारी हो रहा है लेकिन हाजिरी अधिक होने से यह बजट कम पडऩे लगा है। राज्य सरकार की ओर से हाल ही में स्कूलों में पूरे सप्ताह दूध वितरण प्रारंभ किया गया है। इसमें पहले तीन माह की उपस्थिति में ८५ से ९० प्रतिशत विद्यार्थी उपस्थित बताए जा रहे हैं। जिले की ४८६० स्कूलों के ४ लाख १७ हजार विद्यार्थियों में से ४ लाख के करीब उपस्थित बताए जा रहे हैं। इनका दूध का हिसाब २० लाख रुपए के करीब हर महीने हो रहा है। इतना दूध पीने के कारण अब राज्य स्तर पर भी प्रश्न उठ रहे हैं कि इतनी ज्यादा उपस्थिति कैसे है?
मिड डे मील के भी यही हाल
मिड डे मील में भी विद्यार्थियों की उपस्थिति ८० प्रतिशत तक पहुंच रही है। इतनी उपस्थिति के चलते यहां मिड डे मील सामग्री का उठाव भी अधिक हो रहा है। इसके अलावा मिड डे मील के लिए कुक कम हैल्पर के लिए र्इंधन व अन्य सामग्री का बजट भी ज्यादा है।
गुणवत्ता में बड़ा अंतर
सर्वशिक्षा एवं रमसा की ओर से स्कूलों में गुणवत्ता की जांच के लिए साल में तीन से चार बार स्कूलों में अधिकारी पहुंचते हैं। तब उपस्थिति ४० से ५० प्रतिशत होती है और कई स्कूलों में तो ताले लगे नजर आते हैं। एेसे में प्रश्न खड़ा हो गया है कि दूध-रोटी के लिए आने वाले ९० प्रतिशत विद्यार्थी इस दौरान कहां गायब हो जाते हैं। शिक्षा विभाग के लिए चिंतनीय पहलू, मॉनिटरिंग पर खड़ा हो रहा प्रश्न : उपस्थिति को लेकर कागजी घोडे़ दौड़ाने का खेल .
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