वर्कशॉप की शुरूआत करते हुए जैसे ही रूमादेवी आई तो उन्होंने परम्परागत रूप से राजस्थानी में सभी को राम-राम सा कहा…वहां मौजूद विद्यार्थियों और विभागाध्यक्षों ने उनका शानदार स्वागत किया। पूरा माहौल मानों राजस्थानी रंग में रम गया।
आत्मीयता के कायल हो गए विद्यार्थी रूमादेवी की आत्मीयता से बातचीत का तरीका और वर्कशॉप में छोटी से छोटी बात को भी सरल तरीके से बताने का अंदाज मानो सभी को भा गया। बिना किसी झिझक के छात्राओं ने कशीदाकारी की बारीकियां पूछी।
छात्राओं के समूह उनके पास आते रहे और वे उनको फेब्रिक और कला की विशेषताएं समझा रही थी। इसके बाद उन्होंने छात्राओं से पूछा कि क्यों न आप सभी का टेस्ट हो जाए, वर्कशॉप में जो आपने सीखा है उसे फेब्रिक पर भी उतार दें। छात्राएं तो जैसे इसी का इंतजार कर रही थी।
सुई-धागों के साथ छात्राओं ने दिखाई कला रूमादेवी की क्लास में छात्राओं ने फेब्रिक पर सुई-धागे के साथ कशीदाकारी करके भी दिखाई। कुछ बातें जो समझ में नहीं आई उन्होंने पूछी भी। कशीदाकारी में विवि की बड़ी संख्या में छात्राओं ने रूचि दिखाई।
वाणी गायन और घूमर की गूंज कला के साथ यहां पर राजस्थान का वाणी गायन भी खूब गूंजा। परम्परागत गायन की कला से भी छात्राएं रूबरू हुई। वहीं बाद में घूमर की गूंज तो पूरे विवि परिसर में सुनाई दी। छात्राएं भी घूमर पर खुद को नहीं रोक पाई।
कार्यशाला में ग्रामीण विकास एवं चेतना संस्थान सचिव विक्रमसिंह, अंशु श्राफ व प्राजक्ता जोशी ने अनुवादक की भूमिका निभाई।