सुबह होते ही हर गली से बाजार की आेर दौड़ते वाहन, दुकानों सोशल डिस्टेंसिंग की उड़ती धज्जियां, मानों यह बता रही हो कि हमें सुबह ११ बजे तक कोरोना चपेट में नहीं लेगा। इसके बाद सख्ती हुई तो हम सुधरेंगे। स्थिति गंभीर होने के बावजूद शाम को राय कॉलोनी, ढाणी बाजार क्षेत्र, प्रतापजी की प्रोल एरिया सहित पूरे शहर में लोग घरों के आगे बैठ जाते हैं और चलता है हथाई का दौर।
सवाल यह है कि क्या शहर को बचाने का जिम्मा हम नागरिकों का है कि नहीं? जिले में कोरोना पॉजिटिव मरीजों का बढ़ता आंकड़ा चिंता का कारण है। अब तो मौत का आंकड़ा भी बढ़ रहा है। एेसे में हमारे जनप्रतिनिधि, जागरूक लोग और समाजसेवी जनता की जान बचाने की जुगत में है तो दूसरी ओर बाड़मेर शहर के वासी अपनी और शहरवासियों की जान जोखिम में डालने पर तुले हैं। शहर में सुबह ग्यारह बजे तक बाजार में किराणा की दुकानें, सब्जी मंडी, दूध डेयरी आदि खुले रहते हैं। इसका फायदा उठाते हुए तफरी करने वाले दुपहिया वाहन में चाबी लगा पहुंच जाते हैं बाजार में। यहां वे खरीदारी तो करते हैं, लेकिन कोरोना से बचाव का उपाय नहीं।
शहर की दुकानों पर पास-पास खड़े लोग मानो कोरोना की मार को भूल चुके हैं। मास्क मात्र औपचारिकता, सेनेटाइजर का नहीं इस्तेमाल- शहर की दुकानों पर ना तो मास्क की अनिवार्यता नजर आती है और न ही सेनेटाइजर को लेकर कोई प्रबंध। इतना ही नहीं चाय की थडि़या, मिठाई की दुकानें, कपड़ें की दुकानें भी चोरी छुपे खुल रही है। दुकानदार बैठे रहते हैं,हर राहगीर को वे नजर आते हैं, लेकिन पुलिस व प्रशासन सुबह इस आेर ध्यान ही नहीं दे रहा।
शाम को भी वहीं हाल, कैसे सुधरे हालात- शाम को जब रेड अलर्ट लगा हुआ है तो भी शहर सुधर नहीं रहा, पुलिस अपनी ड्यूटी निभा नहीं रही और प्रशासन की नींद खुल नहीं रही। प्रतिदिन शाम को राय कॉलोनी रोड पर एक दस फीट-बीस फीट की दूरी पर हथाइयां हो रही है। प्रतापजी की प्रोल हो या फिर ढाणी बाजार। नेहरू नगर हो या फिर महावीर नगर हर जगह लोग वॉकिंग व हथाइयों से बाज नहीं आ रहे।
अभी भी नहीं सुधरे तो हालात होंगे खराब- अभी भी बाड़मेर के लोग नहीं सुधरे तो हालात खराब हो जाएंगे। सोशल डिस्टेंसिंग की पालना कोरोना से बचाव का पहला नियम है तो मास्क की अनिवार्यता भी जरूरी है। लोग बिना काम बाहर नहीं निकले तो ही हालात सुधर सकते हैं।- डॉ. बी एल मंसुरिया, पीएमओ राजकीय चिकित्सालय बाड़मेर