1965 और 1971 का युद्ध
यह बात बेहद जरूरी है कि 1965 और 1971 का युद्ध जिस जमीन पर लड़ा गया है,वहां शहीदों को गौरवान्वित करने के लिए स्थल होने चाहिए। युद्ध को लेकर जानकारी हमेशा रोमांचित करती है और 1971 का युद्ध तो भारत के लिए और रेगिस्तान के इसी सरजमीं के लिए गौरव रहा है। मुनाबाव में बॉर्डर व्यू प्वांइटन बनने से पश्चिमी सीमा पर पहुंचकर लोग यहां के युद्धकौशल व अदम्य साहस को समझेंगे।- रावत त्रिभुवनङ्क्षसह, संरक्षक थार के वीर
बॉर्डर व्यू प्वाइंट जैसलमेर और गुजरात में बनने के बाद अब बाड़मेर के मुनाबाव में भी प्वाइंट बनाने की जरूरत है। रेलवे के शहीद गडरारोड़ में हुए है। हमारे परिवार के लोगों ने शहादत दी है। रेलवे शहीदों से जुड़ा स्मारक भी इससे जोड़ा जाए। जैसलमेर के लोंगेवाला की तर्ज पर यह पूरा स्थल विकसित हों तो शहीद परिवारों को बड़ा सम्मान मिलेगा।- दीपक माली, सभापति नगपरिषद बाड़मेर
सीमावर्ती मुनाबाव में अंतरर्राष्ट्रीय रेलवे स्टेशन, भारत-पाक रेलवे लाइन, गडरारोड का शहीद स्मारक, रोहिली के धोरे, हैण्डीक्राफ्ट और रातों रात गडरासिटी से बसा गडरारोड़ कस्बा है। बॉर्डर पर्यटन को लेकर यहां पर कार्य किया जाए तो आने वाले समय में पर्यटकों के लिए जैसलमेर, मुनाबाव, बाखासर और नाडाबेट सहित पूरा एक बैल्ट होगा जो भारतमाला से जुड़ जाएगा। यह पर्यटन विकास में मील का पत्थर साबित होगा। – पे्रमाराम भादू, बाड़मेर