scriptवाघा में यों सैल्यूट तो मुनाबाव में क्यों नहीं? | Why this salute in Wagah and not in Munabav? | Patrika News
बाड़मेर

वाघा में यों सैल्यूट तो मुनाबाव में क्यों नहीं?

वाघा(पाकिस्तान)-अटारी(पंजाब,भारत) के बॉर्डर पर रिट्रीट सेरेमनी देश का गौरव तो है। इसे देखते ही गर्व से रोंगटे खड़े हो जाते है। पर्यटक पाकिस्तान रेंजर्स और भारतीय बीएसएफ के जवानों की संयुक्त परेड देखने के लिए सैकड़ों की संख्या में पहुंचते है।

बाड़मेरJan 23, 2021 / 09:58 am

Ratan Singh Dave

वाघा में यों सैल्यूट तो मुनाबाव में क्यों नहीं?

वाघा में यों सैल्यूट तो मुनाबाव में क्यों नहीं?

वाघा में यों सैल्यूट तो मुनाबाव में क्यों नहीं?
रतन दवे.
बाड़मेर
वाघा(पाकिस्तान)-अटारी(पंजाब,भारत) के बॉर्डर पर रिट्रीट सेरेमनी देश का गौरव तो है। इसे देखते ही गर्व से रोंगटे खड़े हो जाते है। पर्यटक पाकिस्तान रेंजर्स और भारतीय बीएसएफ के जवानों की संयुक्त परेड देखने के लिए सैकड़ों की संख्या में पहुंचते है। प्रतिदिन शाम 5.15 बजे यह परेड होती है। पंजाब के पर्यटन को इस परेड ने नई ऊंचाई दी है। बाड़मेर में भी मुनाबाव बॉर्डर है। यहां अंतरर्राष्ट्रीय स्तर का रेलवे स्टेशन है। ऊंचे-ऊंचे धोरे और रोहिड़ी के स्वर्णिम आभा देने वाले धोरे भी है। पाकिस्तान बॉर्डर के साथ रेगिस्तान को देखना और 1971 के युद्ध की रणभूमि को देखना अपने आप में अविस्मरणीय बन सकता है। जरूरत है पर्यटन को लेकर नई सोच की। आईडिया 2021 पर केन्द्रीय कृषि राज्यमंत्री कैलाश चौधरी, राजस्व मंत्री हरीश चौधरी, विधायक शिव अमीनखां की ठोस पैरवी हों। बीएसएफ, जिला प्रशासन और पर्यटन,लोक-कला से जुड़ाव रखन वाले लोग, व्यवसायी और जिले का हर नागरिक यह पैरवी करे तो वाघा बॉर्डर की तरह मुनाबाव बॉर्डर की परेड भी देश में चर्चित हो सकती है।
मुनाबाव कैसे पहुंचे
बाड़मेर जिला मुख्यालय से मुनाबाव के लिए बस की सुविधा है। पैसेंजर रेल की सुविधा को बढ़ाया जा सकता है। मुनाबाव बाड़मेर से 160 किमी दूरी पर है। रेल को पर्यटन के लिहाज से आकर्षक बनाया जाए तो यहां से जाने-आने वालों की संख्या बढ़ जाएगी।
और क्या है मुनाबाव के आस-पास
रोहिड़ी और सून्दरा के धोरे अपने आप में आकर्षक है। जैसलमेर के सम की तरह ही इन धोरों पर पर्यटन का विकास किया जा सकता है। बॉर्डर पर सैल्यूट के लिए आने वाले पर्यटकों को इन धोरों की सैर करवाई जा सकती है।
इजाजत को लेकर मिले छूट
अभी पश्चिमी सीमा पर बाहरी क्षेत्र के लोगों का गैर इजाजत प्रवेश नहीं है। पर्यटन विकास के लिए यहां विशेष छूट दी जा सकती है। हाल ही में बीकानेर के बॉर्डर को खोला गया है, इसी तर्ज पर मुनाबाव के लिए प्रयास जरूरी है।
चले थार, तो यादगार बने इतवार
थार एक्सपे्रस का संचालन भारत पाक के बीच में हो रहा था। इसको दो साल पहले दोनों देशों में तनाव के कारण रोक दिया गया है। थार एक्सप्रेस का संचालन प्रारंभ हों और यहां पर्यटन के लिए सैल्यूट दी जाए तो सोने पर सुहागा हो जाए। इसको इतवार को शुरू किया जाए तो रविवार का बॉर्डर पर्यटन अपने आप में नई इबारत लिख सकता है।
बॉर्डर के गांवों का विकास
बॉर्डर के गांवों का विकास इससे होगा। यहां मूलभूत सुविधाओं के साथ ही पर्यटन का नया द्वार खुल सकता है। जैसलमेर तक आने वाले पर्यटकों के लिए मुनाबाव का रेगिस्तान व बॉर्डर पर्यटन का नया द्वार खोल सकता है।- रावत त्रिभुवनसिंह, बाड़मेर
बॉर्डर टूरिज्म के लिए नए आईडिया जरूरी है। टूरिज्म केवल आमोद-प्रमोद के लिए नहीं है,यह क्षेत्र की सांस्कृतिक विरासत को संबल देता है। रेगिस्तान अपने-आप में सांस्कृतिक विरासत का खजाना है। इसकी वृहत्त स्तर पर कार्ययोजना बन सकती है।- रावल किशनसिंह जसोल, अध्यक्ष इंटेक चेप्टर

Home / Barmer / वाघा में यों सैल्यूट तो मुनाबाव में क्यों नहीं?

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो