scriptजिनके लिए दफ्तर जाना भी मुश्किल, उन्हें दिखाई जा रही है दिल्ली | you want to make Aadhaar card, then you have to go to Delhi | Patrika News
बाड़मेर

जिनके लिए दफ्तर जाना भी मुश्किल, उन्हें दिखाई जा रही है दिल्ली

पत्रिका एक्सपोज : – अव्यवहारिक व्यवस्था में उलझे कई दिव्यांगों और वृद्धों के आधार कार्ड

बाड़मेरOct 19, 2019 / 12:40 pm

Ratan Singh Dave

Crisis on ratio of consumers due to aadhar seeding work in Singrauli

Crisis on ratio of consumers due to aadhar seeding work in Singrauli

पुरुषोत्तम रामावत.

सिवाना (बाड़मेर). जिन वृद्धों के अंगूठे के फिंगर प्रिंट (Finger print) घिस गए हैं और दिव्यांग जिनकी आंखों (eye) का रेटिना (Retina) आधार की मशीन केप्चर नहीं कर रही उनको आधार कार्ड (Aadhar Card) बनाना है तो दिल्ली जाना होगा,वो भी अपाइंटमेंट लेकर, अजीब लग रहा है न। ऐसा ही है क्योंकि इनके आधार कार्ड बनाने का एक मात्र जरिया व्हाइट बॉक्स मशीन है जो केवल दिल्ली के ‘ यूनिक आइडेंटीफिकेशन डवलपमेंट ऑथेरिटी ऑफ इंडिया’ (यूआईडीएआई ) कार्यालय में है।
असहाय दिव्यांग और वृद्ध इतनी माथामच्ची नहीं कर पाने से आधार से वंचित हैं और इस वजह से कई सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं मिल पा रहा है। विशेषकर फ सली ऋण के सैकड़ों पात्रों के आवेदन इसी वजह से रुके हुए हैं। प्रभावित लोग उपखण्ड अधिकारी और जिला कलक्टर कार्यालयों के चक्कर काट रहे हैं, जहां इनके आवेदन लेकर रख दिए जाते हैं समस्या जस की तस है।
1947 कॉल पर कार्रवाई निराशाजनक

आधार कार्ड संबंधी समस्या के निवारण के लिए 1947 कॉल नंबर है। इस नंबर पर कॉल करने पर सारी जानकारी लेकर दो तरीके सुझाए जाते हैं एक अपना आईडी प्रूफ भेज दो लेकिन उस पर कार्रवाई नहीं होती। दूसरा आदमी घर पर आएगा लेकिन आता-जाता कोई नहीं।
वृद्धों के साथ यह दिक्कत

औसतन 60 साल की उम्र के बाद अंगुलियां और अंगूठे की रेखाएं घिसने से फिं गर प्रिंट नहीं आते हैं। अंगूठे का प्रिंट नहीं आने पर आधार कार्ड नहीं बनता। 60 साल की उम्र के बाद मोतियाबिंद के ऑपरेशन भी होते हैं। जिनका मोतियाबिंद पका है उनके भी आधार कार्ड की समस्या आ रही है।
केस-1

सिवाना निवासी 90 वर्षीय मदनकंवर दिव्यांग है। उसकी आंखों का रेटिना आधार की मशीन में नहीं आ सकता। इस कारण उसका आधार कार्ड नहीं बना है। सात साल से लगातार कई दफ्तरों के चक्कर लगा चुकी लेकिन कोई सुनवाई नहीं हो रही। इस कारण मदनकंवर को कई सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं मिल पा रहा है।
केस- 2
सिवाना निवासी 91 वर्षीय छगन कंवर दिव्यांग है। उसके भी आंखों का रेटिना आधार की मशीन में कैप्चर नहीं होने से आधार कार्ड नहीं बना है। विकलांगता, फ सल खराबे का अनुदान और पेंशन से वंचित है।
केस-3
जिले में 1000 के करीब ऐसे लोग है जिनके फि ंगर प्रिंट और आंखों का रेटिना नहीं होने से आधार कार्ड नहीं बना और बिना आधार कार्ड के फ सली ऋ ण जारी नहीं हो रहा है। बैंकों ने इनके आवेदन बनाकर भेज दिए लेकिन कहीं सुनवाई नहीं हो रही है।
सीधी-बात (मोहनसिंह, उप निदेशक, सूचना एवं प्रोद्यौगिकी विभाग )
पत्रिका- दिव्यांग और वृद्ध लोगों के आधार कार्ड नहीं बनने की समस्या आ रही है क्या?

अधिकारी- हां, ऐसा हो रहा है, बाड़मेर ही नहीं सभी जिलों में यह समस्या है।
पत्रिका- ऐसा क्यों हो रहा है?
अधिकारी- आंखों का रेटिना और हाथ की अंगुलियां दो निशान र्हं, अंगुलियां घिसी हैं या आंख में समस्या है तो फि र आधार कार्ड नहीं बनता।
पत्रिका- इसका समाधान क्या है?

अधिकारी- इसके लिए दिल्ली जाना होगा,वहां से कार्ड बनेगा।
पत्रिका- यह अव्यवहारिक नहीं है?
अधिकारी- यही है, इसके अलावा कोई समाधान नहीं।
पत्रिका- कितने लोगों के कार्ड नहीं बने है?

अधिकारी- इसका कोई पूरा आंकड़ा नहीं है। तीन प्रतिशत लोग जिले में अभी भी वंचित हैं।

Hindi News/ Barmer / जिनके लिए दफ्तर जाना भी मुश्किल, उन्हें दिखाई जा रही है दिल्ली

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो