बड़वानी

हर माह मध्याह्न भोजन पर 55 लाख रुपए खर्च, खा रहे चंद बच्चे

एक लाख बच्चों के नाम पर निकलता रुपया, 20 प्रतिशत भी उपस्थिति नहीं, 95 हजार बच्चों को दिया जा रहा हर सप्ताह पौष्टिक आहार, फिर भी कुपोषण, 48 हजार बच्चे कुपोषण की श्रेणी में, साढ़े तीन हजार अति कुपोषित

बड़वानीFeb 20, 2019 / 11:44 am

मनीष अरोड़ा

55 lakhs spent on mid day meal, few children eating

ऑनलाइन खबर : विशाल यादव
बड़वानी. कुपोषण को दूर करने का माध्यम बनाकर आंगनवाड़ी केंद्रों की स्थापना की गई थी। जिले में कुपोषण का ग्राफ कम होने का नाम नहीं ले रहा है।हर माह आंगनवाडिय़ों में एक लाख बच्चों के मध्याह्न भोजन के नाम पर 55 लाख रुपए खर्च किए जा रहे है। वहीं, 95 हजार बच्चों को हर सप्ताह पौष्टिक आहार दिया जा रहा है। इसके बाद भी जिले में कुपोषण की स्थिति सुधरने का नाम नहीं ले रही है। सरकारी आंकड़ों की ही मानी जाए तो करीब 48 हजार बच्चे सामान्य से कम वजन की श्रेणी में है। वहीं, गंभीर कुपोषित बच्चों की संख्या भी साढ़े तीन हजार के करीब है।
महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा जिले में 1784 आंगनवाड़ी केंद्र संचालित किए जा रहे हैं। इन आंगनवाडिय़ों में छह माह से लेकर 6 वर्ष तक के एक लाख 97 हजार बच्चे दर्ज है। महिला एवं बाल विकास विभाग के अनुसार आंगनवाडिय़ों में 6 से 3 वर्ष तक के बच्चों को आंगनवाडिय़ों में हर सप्ताह पौष्टिक आहार का वितरण किया जाता है। साथ ही 3 से 6 वर्ष तक के बच्चों को आंगनवाडिय़ों में सुबह पौष्टिक नाश्ता और दोपहर में मध्याह्न भोजन दिया जा रहा है। 3 से 6 वर्ष तक के एक लाख बच्चों के लिए नाश्ते और मध्याह्न भोजन पर विभाग हर माह 55 लाख रुपए खर्च कर रहा है। मध्याह्न भोजन का लाभ इन बच्चों को मिलता नहीं दिख रहा है।
दर्ज संख्या से आधे भी नहीं आते बच्चे
आंगनवाड़ी केंद्रों में बच्चों की स्थिति देखी जाए तो गंभीर सवाल खड़े हो रहे है। किसी भी आंगनवाड़ी में दर्ज बच्चों की संख्या से आधे बच्चे भी कभी उपस्थित नहीं मिलते। पत्रिका ने जब कुछ आंगनवाडिय़ों का जायजा लिया तो हमेशा की तरह दर्ज बच्चों में से एक चौथाई बच्चे भी नहीं मिले। सजवानी की आंगनवाड़ी क्रमांक एक में दर्ज 102 बच्चों में से 15 उपस्थित थे। क्रमांक पांच में 95 बच्चों में से 20 बच्चे ही आंगनवाड़ी आए थे। लोनसरा की आंगनवाड़ी क्रमांक दो में भी 60 में से16 बच्चे पाए गए। बंधान की आंगनवाड़ी क्रमांक एक में भी 98 बच्चों में से रोजाना 15 से 20 बच्चे ही आते है। कालाखेत की आंगनवाड़ी क्रमांक एक में भी 103 बच्चों में से 12 से 15 बच्चे ही नियमित आ रहे है।
20 प्रतिशत भी उपस्थित नहीं, निकल रहा पूरा रुपया
आंगनवाडिय़ों में दर्ज बच्चों के हिसाब से मध्याह्न भोजन दिया जाना है। आंगनवाडिय़ों में पूरे बच्चे उपस्थित नहीं होने के बावजूद हर माह मध्याह्न भोजन पर 55 लाख रुपए कहां खर्च हो रहा है, ये एक बड़ा सवाल है। जब भी आंगनवाड़ी केंद्र में जाकर जानकारी ली जाती है तो कुछ ऐसे जवाब मिलते है कि बच्चे अभी खाना खाकर वापस चले गए, गांव में कार्यक्रम था तो बच्चे नहीं आए। बच्चों के घर खाना भिजवा दिया है। जब मध्याह्न भोजन देखा गया तो गिनती के बच्चों के लिए आंगनवाडिय़ों में भोजन पाया गया। विभाग का तर्क हैकि जितने बच्चे उपस्थित होंगे, उतने ही बच्चों के भोजन का भुगतान किया जाता है।
पोषण आहार पर भी लाखों खर्च
एक ओर जहां 3 से 6 वर्ष के बच्चों पर मध्याह्न भोजन का 55 लाख रुपए खर्च हो रहा है। वहीं, दूसरी ओर 6 माह से 3 वर्ष के बच्चों, गर्भवती माताओं, धात्री माताओं को भी हर सप्ताह पौष्टिक आहार दिया जाता है।जिस पर भी लाखों रुपए का खर्च होता है।हर माह लाखों खर्चके बावजूद जिले में कम वजन के बच्चों की संख्या कम नहीं हो रही है। वहीं, गर्भवती महिलाओं और धात्री माताओं में भी खून की कमी भी सामने आ रही है।इसका खुलासा जिला अस्पताल में प्रसव के लिए पहुंचने पर होता है।अधिकतर गर्भवती महिलाओं में खून की कमी पाई जाती है और ब्लड का इंतजाम करना पड़ता है।
फैक्ट फाइल…
1784 आंगनवाडिय़ां जिले में
95231 बच्चे 6 माह से 3 वर्ष के
102839 बच्चे 3 से 6 वर्ष के
133705 बच्चे सामान्य वजन के
48809 बच्चे सामान्य से कम वजन के
3328 बच्चे अति कम वजन के
84 बच्चे गंभीर रूप से कुपोषित
उपस्थिति के अनुसार होता भुगतान
आंनवाडिय़ों में बच्चों की उपस्थिति के अनुसार ही मध्याह्न भोजन का भुगतान किया जाता है।3 वर्ष से कम बच्चों के लिए पौष्टिक आहार देने की व्यवस्था है।एक मार्च से नाश्ते के लिए नई व्यवस्था लागू की जा रही है। कुपोषण हमारे जिले में अन्य जिलों की तुलना में कम है।
अब्दुल गफ्फार खान, जिला परियोजना अधिकारी, महिला एवं बाल विकास विभाग

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