&हम बूथ स्तर पर काम कर रहे हैं। टीमें बना दी गई हैं। हर एक व्यक्ति से संपर्क किया जा रहा है। उन्हें भाजपा की असलियत बताई जा रही है। जिन बूथों पर हम पहले कमजोर रहे हैं वहां से भी हम जीत कर आएंगे। इस बार चारों सीटों पर कांगे्रस जीतेगी। हम जिले में भाजपा को क्लीनस्वीप करेंगे।
– वीरेंद्र सिंह दरबार, जिलाध्यक्ष, कांग्रेस
&हमने बूथ स्तर पर 20-20 कार्यकर्ताओं को जिम्मेदारी बनाकर उतारा है। यह टीमें भाजपा की नीतियों और योजनाओं को लोगों सामने रख रही हैं। कांग्रेस के पास अब कुछ नहीं बचा है। इस बार चारों सीटों पर भाजपा जीत दर्ज करेगी।
– ओम खंडेलवाल, जिलाध्यक्ष भाजपा
– वीरेंद्र सिंह दरबार, जिलाध्यक्ष, कांग्रेस
&हमने बूथ स्तर पर 20-20 कार्यकर्ताओं को जिम्मेदारी बनाकर उतारा है। यह टीमें भाजपा की नीतियों और योजनाओं को लोगों सामने रख रही हैं। कांग्रेस के पास अब कुछ नहीं बचा है। इस बार चारों सीटों पर भाजपा जीत दर्ज करेगी।
– ओम खंडेलवाल, जिलाध्यक्ष भाजपा
जीत के लिए हर क्षेत्र में मेहनत की जरुरत
&पिछले चुनाव में दोनों पार्टियां बराबरी पर रही। कांग्रेस को मोदी लहर में भी जिले की 2 सीट मिली लेकिन 5 साल में भी इसे भुना नही पाई। बड़े मुद्दे उठाने में कांग्रेस पिछड़ गई। भितराघात भी कांग्रेस के लिए बड़ी चिंता है। बीजेपी के साथ भी व्यापम और निचले स्तर पर भ्रष्टाचार जैसी चीजें रहेंगी। दोनों पार्टियों को चुनिंदा बूथ के बजाय हर क्षेत्र में मेहनत करने की जरूरत है। फिलहाल की स्थिति 55-35 की है।
डॉ पीयूष शर्मा, राजनीतिक और आर्थिक विशेषज्ञ
यह समस्याएं अभी भी हैं बरकरार
जिले में पलायन सबसे बड़ी समस्या बनकर उभरा है। इसे रोकने का कोई कारगर कदम नहीं उठाया गया है।
कपास उद्योग खत्म होने के बाद इन्हें वापस स्थापित नहीं किया जा सका हैं। सफेद सोने की मंडी कहलाने वाले सेंधवा में कपास का उद्योग लगभग खत्म होने की कगार पर पहुंच चुका है।
बड़े उद्योग धंधे यहां नहीं है, लघु उद्योगों के लिए भी कोई प्रयास नहीं किए गए, ऐसे में यहां बेरोजगारी भी लगातार बढ़ रही है।
चिकित्सा सुविधा में भी जरूरत के लिहाज से संसाधन नहीं जुट पाए हैं। जिले में एक मेडिकल कॉलेज की दरकार हैं अब तक किसी भी पार्टी ने इस तरह का प्रयास नहीं किया है।
जिले में पलायन सबसे बड़ी समस्या बनकर उभरा है। इसे रोकने का कोई कारगर कदम नहीं उठाया गया है।
कपास उद्योग खत्म होने के बाद इन्हें वापस स्थापित नहीं किया जा सका हैं। सफेद सोने की मंडी कहलाने वाले सेंधवा में कपास का उद्योग लगभग खत्म होने की कगार पर पहुंच चुका है।
बड़े उद्योग धंधे यहां नहीं है, लघु उद्योगों के लिए भी कोई प्रयास नहीं किए गए, ऐसे में यहां बेरोजगारी भी लगातार बढ़ रही है।
चिकित्सा सुविधा में भी जरूरत के लिहाज से संसाधन नहीं जुट पाए हैं। जिले में एक मेडिकल कॉलेज की दरकार हैं अब तक किसी भी पार्टी ने इस तरह का प्रयास नहीं किया है।
विधानसभावार बूथों पर रही थी ये स्थिति
बड़वानी विधानसभा रमेश पटेल कांग्रेस धमनई- 692 रेहगुन- 711 लोनसरा खुर्द- 699 तलून खुर्द- 658 भीलखेड़ा- 617
—————— प्रेमसिंह पटेल भाजपा
बड़वानी विधानसभा रमेश पटेल कांग्रेस धमनई- 692 रेहगुन- 711 लोनसरा खुर्द- 699 तलून खुर्द- 658 भीलखेड़ा- 617
—————— प्रेमसिंह पटेल भाजपा
सेमली- 396 पाटी- 369 पोखलया- 440 बेड़दा- 337 कठोरा- 329
—————- पानसेमल विधानसभा
चन्द्रभागा किराड़े कांग्रेस बांदया बड़ 492 आमझिरी 463 राजपुरा 400 पन्नाली 725
—————- पानसेमल विधानसभा
चन्द्रभागा किराड़े कांग्रेस बांदया बड़ 492 आमझिरी 463 राजपुरा 400 पन्नाली 725
आमदन 635
———- दीवानसिंह पटेल भाजपा धवली 560 भातकी 514 मलगांव 523 पिपरानी 635 जलगोन 566
—— राजपुर विधानसभा देवीसिंह भाजपा बड़दा 606 फत्यापुर 490 उचावद 534
———- दीवानसिंह पटेल भाजपा धवली 560 भातकी 514 मलगांव 523 पिपरानी 635 जलगोन 566
—— राजपुर विधानसभा देवीसिंह भाजपा बड़दा 606 फत्यापुर 490 उचावद 534
बिलवाड़ेब 441 रणगांव डेब 423
—————– बाला बच्चन। कांग्रेस भमोती 577 साकड़ 574 हरणगांव 563 कांकरिया 593 मंदराया 558
———— सेंधवा विधानसभा अंतरसिंह आर्य भाजपा सेंधवा 547
—————– बाला बच्चन। कांग्रेस भमोती 577 साकड़ 574 हरणगांव 563 कांकरिया 593 मंदराया 558
———— सेंधवा विधानसभा अंतरसिंह आर्य भाजपा सेंधवा 547
सेंधवा 610 थिगाली 512 कुसमी 465 कालापाट 528
—————- दयाराम पटेल कांग्रेस झोपाली 569 बडग़ांव 508 मडगांव 415 जामली 420 सेंधवा 479
—————- दयाराम पटेल कांग्रेस झोपाली 569 बडग़ांव 508 मडगांव 415 जामली 420 सेंधवा 479