बड़वानी

सहायक आयुक्त की चल रही मनमानी, नहीं हुआ आयुक्त से जारी नियमों का पालन

तीन साल की अवधि पूर्ण कर चुके होस्टल अधीक्षकों को मूल पदों पर भेजा, कुछ पर रखी मेहरबानी, इस बार नेताओं के दिए नामों को भी दी तवज्जों, पहले विधायकों ने किया था विरोध

बड़वानीJul 17, 2019 / 11:13 am

मनीष अरोड़ा

Assistant Commissioner of Tribal Affairs

बडवानी. जनजातीय कार्य विभाग सहायक आयुक्त द्वारा होस्टल अधीक्षकों के तबादले का मामला एक बार फिर तुल पकडऩे लगा है। पूर्व में सहायक आयुक्त कार्यालय से हुए होस्टल अधीक्षकों के तबादलों के मामले को लेकर सेंधवा विधायक ने सवाल खड़े किए थे। इसके बाद कलेक्टर ने होस्टल अधीक्षकों के तबादलों को निरस्त कर दिया था। अब एक बार फिर होस्टल अधीक्षकों की तबादलों के बाद मामला गरमा गया है।
विभाग के ही कर्मचारी इस पूरी प्रक्रिया पर दबी जुबान में सवाल खड़े कर रहे हैं। जिन लोगों ने होस्टल अधीक्षक पद के लिए आवेदन दिए थे, वे दबी जुबान में कह रहे हैंकि होस्टल अधीक्षकों की नियुक्ति नियम विरुद्ध हुई है। वहीं विभागीय सूत्रों की मानें तो अबकी बार निकली सूची में विधायकों ने जिन नामों की अनुशंसा की थी, उन्हें प्राथमिकता दी गई है। इसी वजह से विधायक भी इसका कोई विरोध नहीं कर रहे हैं।
नहीं हुआ है निमयों का पालन
सहायक आयुक्त कार्यालय से जारी होस्टल अधीक्षकों की नवीन सूची में 42 अधीक्षकों के नाम आए हैं। इसमें उन अधीक्षकों को हटाया गया जो पिछले तीन सालों से होस्टल में सेवाएं दे रहे थे। इन्हें वापस मूल स्थानों पर भेजा गया है। वहीं कुछ ऐसे अधीक्षक थे, जिन्होंने स्वैच्छा से होस्टल अधीक्षक के पद छोड़े हैं। इनमें से 29 को तीन वर्ष पूर्ण होने पर हटाया गया है। वहीं 28 ऐसे थे जो अपनी इच्छा से पद से हटे। नई सूची में कुछ ऐसे नाम भी हैं जो पिछले तीन सालों से होस्टल अधीक्षक रहे हैं, उन्हें फिर से होस्टल अधीक्षक के पद पर ही रखा गया है। ऐसे कुछ होस्टल अधीक्षकों पर सहायक आयुक्त ने मेहरबानी बनाए रखी है। ऐसे नामों के लेकर विरोध शुरू हो गया है। वहीं कुछ होस्टल ऐसे हैं, जहां अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के अधीक्षकों को पदस्थ किया जाना था, लेकिन उनके स्थान पर अन्य को पदस्थ किया गया है।
ये आदेश हुए थे जारी
आयुक्त जनजाति कार्य विभाग द्वारा सितंबर 2017 को जारी आदेश के अनुसार अनुसूचित जनजाति वर्ग के छात्रावासों/आश्रमों में पदस्थ अधीक्षकों/संविदा अधीक्षकों/अन्य शिक्षक जो अधीक्षकों का कार्य कर रहे है उनको अधिकतम तीन वर्ष की अवधि के लिए ही पदस्थ किया जाए। तीन वर्ष की पदस्थापना के उपरान्त अधीक्षकों/संविदा शाला शिक्षकों को स्कूल/शालाओं में वापस पदस्थ किया जाए और उसके बाद कम से कम तीन साल उपरान्त ही पुन: छात्रावास/आश्रमों में पदस्थ किया जाए। वहीं दूसरे बिंदू में निर्देश थे कि वर्तमान में अनुसूचित जाति/जनजाति/पिछड़ा वर्ग/अन्य वर्ग के अधीक्षकों की पदस्थापना के स्थान पर अनुसूचित जाति/जनजाति वर्ग के अधीक्षक या संविदा शिक्षक वर्ग-2 के शिक्षकों की ही पदस्थापना की जाए। वहीं जनवरी 2018 में जारी आदेश में आयुक्त ने कहा कि छात्रावासों में अधीक्षकों पदस्थापना स्थानीयय विद्यालयों से की जाए। साथ ही तीन वर्ष से अधिक अवधि से पदस्थ अधीक्षकों को हटाया जाए।
विधायकों की अनुशंसा पर ध्यान दिया
होस्टल अधीक्षकों को नियमानुसार ही पदस्थ किया है। अभी एक संसाधित सूची भी जारी करना है। इस बार विधायकों की अनुशंसा पर ध्यान दिया गया है।
विवके पांडे, सहायक आयुक्त
सहायक आयुक्त आदिवासी विकास विभाग बडवानी

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