बड़वानी

ब्लड बैंक हुआ खाली, मात्र 8 यूनिट ब्लड बचा

बिना डोनर के सिर्फ ब्लड बैंक के भरोसे आ रहे मरीज के परिजन ब्लड के लिए, लोगों में जागरुकता की कमी से नहीं हो पर रहा रक्तदान, सिकलसेल, थेलेसिमिया के मरीजों, गर्भवती महिलाओं की बढ़ी परेशानी

बड़वानीApr 04, 2019 / 11:30 am

मनीष अरोड़ा

Do not have blood in the district of Badwani

खबर लेखन : मनीष अरोरा
ऑनलाइन खबर : विशाल यादव
बड़वानी. जिला अस्पताल में भर्ती मरीजों और प्रसव के लिए आई महिलाओं के परिजनों को ब्लड के लिए परेशान होना पड़ रहा है। जिला अस्पताल के ब्लड बैंक में मात्र 8 यूनिट ब्लड बचा हुआ है। ब्लड बैंक के भरोसे ही खून के लिए पहुंच रहे मरीजों के परिजनों को डोनर साथ नहीं होने से बिना ब्लड के वापस लौटना पड़ रहा है। यहां तक कि मरीज के परिजन और परीचित भी ब्लड देने से कतरा रहे है। ऐसे में सिकलसेल और थेलेसिमिया ग्रसित मरीजों सहित महिला अस्पताल में ऑपरेशन केस के मरीजों की फजीहत हो रही है।
बड़वानी जिले में सिकलसेल और थेलेसिमिया से ग्रसित मरीजों की संख्या बहुत ज्यादा है। इन बीमारियों के मरीजों को हर माह एक से दो यूनिट ब्लड चढ़ाना बहुत आवश्यक होता है। वहीं, आदिवासी बाहुल्य जिले में महिलाएं एनिमिया पीडि़त भी है। जिसके कारण गर्भवती महिलाओं को भी ब्लड लगाना पड़ रहा है। आंकड़ों के अनुसार हर प्रतिदिन सिकलसेल के दस, थेलेसिमिया के पांच और गर्भवती महिलाओं के लिए 10 से 15 यूनिट ब्लड रोज लग रहा है। सिकलसेल, थेलेसिमिया के मरीजों को नि:शुल्क ब्लड उपलब्धकराया जाता है। ब्लड बैंक में ब्लड नहीं होने से इन बीमारियों के मरीजों को ब्लड नहीं मिल पा रहा है।
जागरुकता की कमी से नहीं मिलता ब्लड
कहने को रक्तदान महादान का नारा दिया जाता है, लेकिन बड़वानी जिले में रक्तदान के लिए अभी भी उतनी जागरुकता नहीं आ पाई है, जितनी होना चाहिए। मरीज के साथ आने वाले सगे रिश्तेदार और परीचित भी ब्लड देने से कतराते है। आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र में गरीब और मजदूरी पेशा वर्ग के लोगों का मानना है कि रक्तदान करने से उन्हें कमजोरी आ जाएगी। जिसके चलते ऐसे लोग सिर्फ और सिर्फ ब्लड बैंक के भरोसे ही अस्पताल पहुंचते हैं और परेशान होते है।
जरूरत से कम ही होता रक्तदान
जिला अस्पताल के ब्लड बैंक में औसतन 35 से 40 यूनिट ब्लड की रोज आवश्यकता होती है। ब्लड बैंक और विभिन्न सामाजिक संस्थाओं द्वारा समय-समय पर ब्लड डोनेट कैंप भी लगाए जाते हैं, लेकिन आवश्यकता से कम ही ब्लड मिल पाता है। सालभर का आंकड़ा देखा जाए तो वर्ष 2018 में 12175 यूनिट ब्लड की खपत ब्लड बैंक में हुई थी। रक्तदान शिविरों का आंकड़ा देखा जाए तो साल में करीब 25 शिविर लगते है। जिसमें 750 से 900 यूनिट तक ब्लड मिलता है। शिविरों से मिले ब्लड को सिकलसेल, थेलेसिमिया के मरीजों को नि:शुल्क उपलब्ध कराया जाता है। हर माह 150-200 यूनिट ब्लड फ्री दिया जाता है।
फैक्ट फाइल
873 यूनिट जनवरी में ब्लड बैंक से दिया
946 यूनिट फरवरी में ब्लड बैंक से दिया
936 यूनिट मार्च में ब्लड बैंक से दिया
103 यूनिट ब्लड मार्च में मिला दो शिविरों में हुए रक्तदान से
5 यूनिट ब्लड ए नेगेटिव बचा ब्लड बैंक में
3 यूनिट ब्लउ बी पॉजीटिव बचा ब्लड बैंक में
लोगों में जागरुकता की कमी
रक्तदान को लेकर अभी भी लोगों में जागरुकता नहीं आई है। मरीज के परिजन ही रक्तदान करने से घबराते है। ब्लड उसी को लगता है जिसे बहुत आवश्यकता होती है। जब तक रक्तदाता सामने नहीं आएंगे हम कहा से ब्लड उपलब्ध करा पाएंगे।
डॉ. असीम राय, ब्लड बैंक प्रभारी

Home / Barwani / ब्लड बैंक हुआ खाली, मात्र 8 यूनिट ब्लड बचा

Copyright © 2024 Patrika Group. All Rights Reserved.