किसान भूपेंद्र कुमावत, ताराचंद कुमावत ने बताया कि 10 एकड़ खेत बैकवॉटर से घिरा हुआ है। डूब आने के बाद से खेतों तक नाव से आवाजाही कर रहे है। इन्होंने बताया कि दो एकड़ डूब गया है और अब आठ एकड़ में लगी केला फसल निकालने के लिए समस्या आ रही है। नाव बोट के माध्यम से प्रतिदिन केले के कैरेट सड़क मार्ग पर लाकर लोडिंग वाहन से मंडी पहुंचा रहे है। नाव से फसल परिवहन में मजदूर भी आनाकानी करते है। नाव से खेतों तक जाने और उपज लेकर आने में खतरा भी बना हुआ है। प्रतिदिन एक बोट पर 25 से 28 क्ंिवटल तक केले रखकर पानी के बाहर लाया जाता है। इसमें 10 से 12 मजदूर सवार होते है। ऐसे में कभी कोई हादसा भी हो सकता है।
कई स्थानों पर बनने हैं पुुल-पुलियाएं
डूब आने के बाद नर्मदा पट्टी के कई गांव ऐसे हैं, जहां गांव और खेत टापू बने हुए हैं। ऐसे गांवों और खेतों तक पहुंचने के लिए एनवीडीए ने पुल-पुलियाओं का निर्माण किया जाना था। दो सालों से डूब आने के बाद भी ऐसे स्थानों पर पुल-पुलियाओं का निर्माण अब तक शुरू नहीं हो पाया है। ऐसे में डूब प्रभावितों को कई समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। नर्मदा बचाओ आंदोलन के राहुल यादव ने बताया कि एनवीडीए ने अभी तक पुल-पुलियाओं के निर्माण के लिए कोई काम शुरू नहीं किया है। सरकार डूब प्रभावितों की समस्याओं की ओर ध्यान नहीं दे रही है।