बड़वानी

नर्मदा जयंती : मां नर्मदा निरंजनी, सर्व दु:ख भंजनी…

दीपों से जगमगाया मां नर्मदा का आंचल, नर्मदा जयंती पर हुए रोहिणी तीर्थ पर कई आयोजन, संतों ने मां नर्मदा को अर्पित की 11 सौ मीटर की चुनरी, भागवत कथा के समापन पर हुआ भंडारा

बड़वानीFeb 13, 2019 / 10:26 am

मनीष अरोड़ा

Organizing on Rohini Tirtha on Narmada Jayanti

खबर लेखन : मनीष अरोरा
ऑनलाइन खबर : विशाल यादव
बड़वानी. पुण्य सलिला मां नर्मदा का आंचन मंगलवार शाम को दीपों से जगमगा उठा। अवसर था मां नर्मदा जयंती का। नर्मदा जयंती के अवसर पर रोहिणी तीर्थ राजघाट सहित पूरे जिले में नर्मदा तटों पर दिनभर धार्मिक आयोजन हुए। राजघाट पर सुबह संत रामदास महाराज के सानिध्य में मां नर्मदा को 11 सौ मीटर की चुनरी औढ़ाई गई। साथ ही 51 लीटर गाय के दूध से दुग्धाभिषेक किया गया। शाम को यहां श्रीराम बाबा के सानिध्य में 501 दीपों से मां नर्मदा को दीपदान किया गया। इसके बाद 101 जोड़ों द्वारा मां नर्मदा की महाआरती की गई।नर्मदा जयंती पर करीब 40 हजार लोगों ने स्नान कर पुण्य लाभ लिया।
नर्मदा जयंती के अवसर पर राजघाट में विद्युत सज्जा, पताकाओं सहित केले के पत्तों से घाट पर आकर्षक सज्जा की गई थी। मंगलवार अलसुबह से श्रद्धालुओं के पहुंचने का सिलसिला शुरु हो गया था। श्रद्धालुओं ने नर्मदा स्नान कर सूर्य को जल का अध्र्य दिया और श्रीफल सहित सामग्री से पूजन अर्चन किया। आयोजन समिति के तत्वावधान में जारी श्रीमद् भागवत कथा के अंतिम दिन मंगलवार सुबह 9 बजे मंत्रोच्चार के साथ हवन में आहुतियां डाली गई। पश्चात् रामदास बाबा के सानिध्य में रमेश मुकाती सोंदूल द्वारा नाव के माध्यम से मां नर्मदा को चुनरी अर्पण की। मोहन यादव द्वारा नाव द्वारा मां नर्मदा का 51 लीटर दूध से अभिषेक किया। बाबूलाल धनगर द्वारा हवन व महाआरती की गई। वहीं कथा वाचक पं. कुलदीप व्यास का आयोजन समिति द्वारा पुष्पहार व शॉल-श्रीफल भेंट कर सम्मान किया।
कथा के पश्चात हुआ भंडारे का आयोजन
नर्मदा जयंती के उपलक्ष्य में राजघाट पर चल रही श्रीमद् भागवत कथा का समापन भी हुआ। कथा समाप्ति के बाद प्रसादी भंडारे का भी आयोजन हुआ। दोपहर 12 बजे प्रारंभ भंडारे में शाम तक प्रसादी परोसने का सिलसिला चला। प्रसादी के रुप में 8 क्ंिव. शकर की नुक्ती, 10 क्ंिव. आटे की पुड़ी व सब्जी तैयार की गई थी। वहीं आयोजन के दौरान सुरक्षा बतौर कोतवाली के महिला-पुरुष पुलिस जवान राजघाट परिसर व नर्मदा किनारे तैनात रहे। जन्मोत्सव आयोजन के दौरान समिति द्वारा घाट पर पेयजल व चाय की व्यवस्था की गई थी।
ग्रामीणों ने की प्रसादी ग्र्रहण
वहीं नर्मदा तट स्थित मां नर्मदा अटल आश्रम घोंघासा में भी नर्मदा जयंती पर विभिन्न धार्मिक आयोजन हुए। नर्मदा भक्त अजयसिंह ठाकुर ने बताया कि नर्मदागिरि महाराज के सानिध्य में सोमवार-मंगलवार रात्रि ग्रामीणों ने भजन-कीर्तन किए। मंगलवार सुबह नर्मदा पूजन हुआ। पश्चात् आरती की गई। दोपहर में प्रसादी भंडारे का आयोजन हुआ। इसमें ग्राम सहित आसपास के वनांचल के ग्रामीणों ने प्रसादी ग्रहण की।
नर्मदा बचाओ आंदोलन ने मां नर्मदा को ओढ़ाई चुनरी
मां नर्मदा जयंती पर नर्मदा बचाओ आंदोलन के तत्वावधान में खलघाट में मां नर्मदा को चुनरी ओढ़ाई गई। इसमें नर्मदा बचाओ आंदोलन की नेत्री मेधा पाटकर, वाहिद भाई, जगदीश पटेल, नर्मदा घाटी के साथी और सुशील अग्रवाल खलघाट, सेंचुरी से सतेंद्र यादव, राजन तिवारी, सुखेंदर मड़ैया के साथ करीबन 300 महिला-पुरुष शामिल हुए थे। साथ ही नबआं द्वारा मां नर्मदा की स्थिति को लेकर चिंतन भी किया गया। मेधा पाटकर ने मां नर्मदा की स्थिति पर चिंता करते हुए कहा कि नर्मदा का पानी आज पीने लायक नहीं रहा है। नर्मदा में अवैध रेत खनन के चलते नर्मदा के तट खोखले होते जा रहे है। पिछली सरकार ने तो अवैध रेत खनन पर बहुत राजनीति की, लेकिन अवैध रेत खनन बंद नहीं हुआ। अब नई सरकार से हाई कोर्ट के आदेश का पालन करने की अपेक्षा है। सभी ने मां नर्मदा को अविरल बहने की मांग के साथ पानी को स्वच्छ साफ रखने की शपथ ली।

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