समिति सचिव शंकरलाल यादव ने बताया अगले वर्ष तक जलस्तर ओर अधिक बढ़ जाएगा। इसके कारण सभी धार्मिक क्षेत्र जलमग्न हो जाएंगे। इससे श्रद्धालुओं को नर्मदा पार करने में परेशानियों का सामना करना पड़ेगा और अंत में यात्रा को बंद करना पड़ सकता है।
समिति सचिव ने बताया पहले यह यात्रा कोटेश्वर से निकलती थी, लेकिन बाद में यात्रा निकलना बंद हो गई। फिर 2007 में यात्रा को बड़वानी से निकालने की घोषणा की गई। तब 2008 में यात्रा की शुरुआत की गई थी। जो निरंतर आज भी जारी है, लेकिन जलस्तर बढऩे से अब यात्रा बंद होने की कगार पर पहुंच गई है।
2008 में पहली बार निकली यात्रा में श्रद्धालुओं की संख्या 3 से 4 हजार थी। धीरे-धीरे धर्म व आस्था का सैलाब ऐसा उमड़ा की 8 साल बाद श्रद्धालुओं की संख्या बढ़कर 5 से 6 हजार हो गई है। श्रद्धालु उत्साह व भक्ति के साथ इस यात्रा में शामिल होने लगे। इस बार बढ़ते जलस्तर से यात्रा के कई मार्गों को भी परिवर्तित किया गया है।
2008 में निर्धारित स्थानों पर रहती थी भोजन व्यवस्था
बड़वानी यात्रा संचालक शंकरसिंह कोचले ने बताया 2008 में जब पहली बार यात्रा शुरू की गई तो निर्धारित स्थानों पर ही भोजन व्यवस्था रहती थी। यात्रा के 8 साल बाद लोगों की आस्था भी यात्रा के प्रति बढ़ी है। अब यात्रा में शामिल होने वाले श्रद्धालुओं के स्वागत व भोजन के लिए बड़ी संख्या में ग्रामीण तैयार रहते हैं। यात्रा में भारी संख्या में आस्था का सैलाब उमड़ेगा।
सरदार सरोवर के कारण बदला मार्ग
यात्रा के कई मार्गों में बदलाव किए गए हैं। इस बार धार जिले के डेहर से पिपरीपुरा, कोडंदा, हेलादड़ होते हुए धवडिय़ा में रात्रि विश्राम होगा। कोटेश्वर से निसरपुर होते हुए कड़माल, चिखलदा से नर्मदानगर के बाद मंडवाड़ा यात्रा का मार्ग रहेगा। इस यात्रा में कई जिलों के श्रद्धालु भी शामिल होते हैं। इसमें महिला-पुरुषों के साथ बच्चे भी शामिल होते हैं।