हफ्ता वसूली का लगाया आरोप
कार्यकर्ताओं ने अधिकारियों से कहा कि पुलिस और आबकारी के जवान अवैध शराब बनाने और बेचने वालों पर कोई कार्रवाई नहीं करते हैं। नाम लिए बगैर कार्यकर्ताओं ने कहा कि हमारे पास खाकी वर्दी वालों के नाम हैं जो हफ्ता लेते हैं। एक बुजुर्ग कार्यकर्ता ने यहां तक कह दिया कि इन जवानों और समझाईश दो कि यह काम बंद कर दे। नहीं तो सभी के नाम ओपन करके आंदोलन किया जाएगा।
कम से कम नर्मदा को तो छोड़ दो
महिलाओं ने कहा कि नर्मदा को मां कहते हैं। लेकिन उसके ही पानी मेें शराब डूबो रखी हैं। आप कार्रवाई क्यों नहीं करते। जब हम हजारों लीटर शराब, सैकड़ों अवैध भट्टियां पकड़ सकते हैं तो यह कार्रवाई आप लोग क्यों नहीं करते? कम से कम नर्मदा को तो छोड़ दो।
एक घंटे तक की बहस, नोटिस चिपकाया
अधिकारियों और कार्यकर्ताओं के बीचकरीब एक घंटे तक जमकर बहस हुई। अधिकारियों ने शराब के खिलाफ की जाने वाली कार्रवाईयों का हवाला भी दिया। साथ ही आगे भी कार्रवाई का आश्वासन दिया। इसके बाद कार्यकर्ताओं ने नारेबाजी करते हुए विभाग के गेट के पास दीवार पर चेतनावनी नोटिस चस्पा कर दिया। जिसमें अवैध शराब के धंधे को रोकने की मांग की गई है साथ ही आंदोलन की भी चेतावनी दी गई है।
आमसभा में भी फूटा गुस्सा
इस हंगामे के बाद कार्यकर्ता आबकारी विभाग से रैली के रूप में झंडा चौक पहुंचे। यहां मेघापाटकर के नेतृत्व में भाषण हुए और सरकार को निशाने पर लिया गया। इस मौके पर मेघा पाटकर ने कहा कि राज्य सरकार के कमजोर आबकारी अधिनियम हैं। लेकिन विभाग इन कमजोर नियमों के तहत भी कोई कार्रवाई नहीं करना चाहता। पाटकर ने कहा कि सैकड़ों भट्टियां लगी हैं। सरकार खुद शराब का धंधा करके करोड़ों रुपए राजस्व वसूल रही है। लाइसेंसी दुकानदार गांवों मेें अवैध रूप से शराब बेच रहे हैं या बिकवा रहे हैं। अवैध धंधा करने वाले साफ कहते हैं कि हम हफ्ता देते हैं, कोई कुछ नहीं करेगा। मेघा पाटकर ने कहा कि सीएम की नर्मदा यात्रा के दौरान शराब छुपा दी गई थी। उन्होनें कहा कि यदि दो अक्टूबर तक शासन सख्त कानून शराबबंदी का नहीं लाएगी तो अगले चुनाव में इस पार्टी को महिलाएं वोट नहीं देंगी। सरकार के ढीले रवैये के कारण गांव-गांव में विधवाएं हैं। एक गांव में 35 विधवाएं हैं।