डूब के खिलाफ संघर्ष तेज, मेधा सहित 11 आमरण अनशन पर, नर्मदा चुनौती सत्याग्रह का पांचवां दिन, पीएम के खिलाफ दिखा आक्रोश, कहा, पीएम का ट्वीट घाटी के लोगों के जख्मों पर नमक छिड़कने जैसा, आंदोलनकर्ताओं ने किए ट्वीट, लोगों को डूबोंकर खुश हो रहे पीएम
बड़वानी•Aug 30, 2019 / 10:43 am•
मनीष अरोड़ा
Sardar Sarovar Dam Narmada Challenge Fifth Day of Satyagraha
बड़वानी. सरदार सरोवर बांध के बढ़ते जलस्तर को लेकर डूब प्रभावितों का संघर्ष अब तेज होता जा रहा है। अंजड़ तहसील के ग्राम छोटा बड़दा में चल रहे नर्मदा चुनौती सत्याग्रह के पांचवें दिन गुरुवार को नबआं नेत्री मेधा पाटकर सहित 5 महिलाएं और पांच पुरुष अनिश्चितकालीन अनशन पर बैठ गए। वहीं, पांच महिलाओं का क्रमिक अनशन भी जारी रहा। सरदार सरोवर बांध को लेकर किए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ट्वीट पर भी डूब प्रभावितों में काफी आक्रोश दिखा। डूब प्रभावितों का कहना था, पीए का ये ट्वीट घाटी के लोगों के जख्मों पर नमक छिड़कने जैसा है। नबआं कार्यकर्ताओं ने पीएम के इस ट्वीट पर रिट्वीट भी किए।
सरदार सरोवर बांध के बढ़ते बैक वाटर से नर्मदा घाटी के कई ग्रामों में डूब आने लगी है। बिना पुनर्वास नर्मदा घाटी के लोगों को डुबोने के विरोध में और बांध के गेट खोल जब तक पुनर्वास न हो तब तक जल स्तर 128 मीटर रखने के लिए रविवार से नबआं नेत्री मेधा पाटकर ने अनिश्चितकालीन आमरण अनशन शुरू किया है। गुरुवार को डूब ग्राम भवती, बिजासन, गणपुर, छोटा बड़दा, राजघाट और गांगली के 10 डूब प्रभावित भी आमरण अनशन में शामिल हो गए। वहीं, डूब ग्राम की चार महिलाओं सहित पूणे से आई आंदोलन कार्यकर्ता सुनीति ने भी गुरुवार को क्रमिक अनशन किया। अनिश्चित आमरण अनशन में शामिल होने वालों में भगवतीबाई पाटीदार, निर्मलाबाई यादव, सुभद्राबाई, राधाबाई, समोतीबाई, भगवान पाटीदार, भुवान, किशोर, जितेंद्र कहार, धीरज शामिल है।
पीएम ने असंवेदनशीलता की हद पार की
नर्मदा बचाओ आंदोलन कार्यकर्ता राहुल यादव ने बताया कि केंद्र और गुजरात सरकार का इस मानवीय त्रासदी पर मौन रहना असंवेदनशीलता की हद है, लेकिन प्रधानमंत्री ने इस हद को भी पार कर दिया। प्रधानमंत्री ने ट्वीट कर सरदार सरोवर का जलस्तर 134 मीटर पर पहुंचने का जश्न मनाया और देशवासियों से भी इस मनोहारी दृश्य का आनंद लेने को कहा। प्रधानमंत्री का ये ट्वीट बिना पुनर्वास डुबोए जा रहे नर्मदा घाटी के 32 हजार परिवारों के जख्म पर नमक छिड़कने के समान है। देश के प्रधानमंत्री से ऐसे गैरजिम्मेदार व्यवहार की अपेक्षा नहीं थी। राहुल यादव ने बताया कि नबआं कार्यकर्ताओं सहित देशभर में मौजूद एनएपीएम व अन्य संगठनों के कार्यकर्ताओं ने इसके विरोध में पीएम को ट्वीट और रिट्वीट भी किए है।
ठोस बात नहीं कर रहे सीएम
नबआं कार्यकर्ता राहुल यादव ने बताया कि बुधवार को प्रदेश के गृहमंत्री बाला बच्चन ने छोटा बड़दा पहुंचकर सत्याग्रहियों की मांग पर कार्रवाई का आश्वासन देकर मेधा पाटकर से अनशन समाप्त करने को कहा था। इसके बाद सीएम कमलनाथ ने भी फोन कर अनशन खत्म करने का निवेदन किया था। सीएम और गृहमंत्री ने जलस्तर एक निश्चित स्तर पर नियंत्रित करने की ठोस बात नहीं कही, ताकि प्रभावित परिवार पुनर्वास होने तक अपने गांवों में सुरक्षित निवास कर सकें। जिस पर मेधा पाटकर ने अनशन समाप्त करने से मना कर दिया। हालांकि मप्र की कमलनाथ सरकार ने आंदोलन के साथ संवाद की प्रक्रिया प्रारंभ की है, लेकिन जलस्तर बढ़ाने वाली गुजरात सरकार और जलस्तर बढ़ाने का आदेश देने वाली एनसीए ने इस सुनियोजित तरीके से की जा रही व्यापक जनहत्या के प्रयास पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है। राहुल यादव ने बताया कि इसी बीच मप्र के अधिकारियों ने बचाव अभियान के बारे झूठ फैलाना जारी रखा है। कुक्षी के एसडीएम कलेश ने तो प्रभावितों की कुल संख्या से भी ज्यादा संख्या में लोगों को बचाने का दावा कर दिया है। हालांकि अधिकारी बचाव अभियान के नाम पर प्रभावितों को गांवों से बिना पुनर्वास जबरन खदेड़ रहे हैं।