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बड़वानी

40 प्रतिशत घरों में भी नहीं जल पाया उज्जवला का चूल्हा

योजना का लाभ मिलने के बाद दोबारा गैस टंकी लेने नहीं आए कई हितग्राही, लकड़ी के चूल्हे पर धुएं के बीच बना रहे खाना, खाली टंकी कोने में पड़ी, कईयों ने सब्सिडी की लालच में होटलों में दे दी गैस टंकी

बड़वानीMay 08, 2019 / 11:13 am

मनीष अरोड़ा

Ujjwala Gas Connection Scheme

Ujjwala Gas Connection Scheme

बड़वानी. सरकारी योजनाओं का लाभ गरीबों को कितना मिल पाता है, इसका एक उदाहरण उज्जवला गैस कनेक्शन योजना है। शासन ने योजना तो गैस कनेक्शन तो बांट दिए, लेकिन अधिकतर गरीब परिवार इसका उपयोग ही नहीं कर पाए। आज भी 40 प्रतिशत परिवारों में उज्जवला का गैस चूल्हा नहीं जल पा रहा है। इसका मुख्य कारण गरीब परिवारों को गैस सिलेंडर भरवाना भी भारी पड़ रहा है। कईपरिवारों में आज भी मिट्टी के चूल्हे पर लकड़ी जलाकर धुएं के बीच खाना बनाया जा रहा है।वहीं, कई परिवारों ने योजना में मिले गैस सिलेंडर होटलों, अन्य परिवारों को वापरने के लिए दे दिए हैं।
खाद्य आपूर्ति विभाग के माध्यम से जिलेभर में एक लाख से ज्यादा उज्जवला गैस कनेक्शन बांटे गए हैं। बड़वानी शहर में ही दो गैस एजेंसियों और शहर से लगे बडग़ांव पंचायत की एजेंसी से साढ़े 9 हजार से ज्यादा उज्जवला के कनेक्शन है। जब पत्रिका टीम ने बडग़ांव पंचायत के कुछ फलियों का जायजा लिया तो पता चला कि अधिकतर घरों में गैस कनेक्शन तो पहुंच गया, लेकिन एक बार गैस सिलेंडर खत्म होने के बाद दोबारा गैस चूल्हा नहीं जला। ये परिवार गरीबी के कारण गैस रीफिल नहीं करवा पा रहे है। वहीं, कईपरिवार ऐसे भी है, जिन्हें योजना का लाभ नहीं मिल पाया है।
महंगी पड़ रहा गैस सिलेंडर
बडग़ांव पंचायत के स्कूल फलिया निवासी मंगू डावर ने बताया कि उन्हें उज्जवला योजना का लाभ तो मिला, लेकिन सिर्फ एक ही बार गैस सिलेंडर भरवा पाए है। एक बार में 7.50 रुपए गैस भराई के लग रहे हैं, जिसके कारण महंगा पड़ रहा है। वहीं, देवलीबाई केंदरसिंह ने बताया कि गैस टंकी भरवाएं या फिर घर का खर्च पूरा करें। डेढ़ सौ रुपए रोज मजदूरी मिलती है, हफ्ते के 900 रुपए मिलते है। पूरे परिवार का खर्च उठाना पड़ता है। ऐसे में गैस नहीं भरवा सकते। गांव के ही लखन डावर ने बताया कि उनके यहां भी ये ही हाल है, उन्होंने भी दोबारा टंकी नहीं भरवाई। वहीं, रायमल डावर ने बताया कि उनके परिवार को उज्जवला का लाभ नहीं मिला है। आवेदन दिया हुआ है, लेकिन अभी तक उनका नाम योजना में नहीं आया।
होटलों में जल रही उज्जवला की टंकियां
सूत्रों के मुताबिक उज्जवला योजना के तहत बांटी गई 20 प्रतिशत गैस टंकियां होटलो, बड़े परिवारों में जहां गैस की खपत ज्यादा हैं, वहां चल रही है। होटल वालों ने उज्जवला योजना के हितग्राहियों से संपर्क कर टंकी ले ली है। एक घरेलू गैस सिलेंडर की कीमत 750 रुपए करीब होती है, जिस पर हितग्राही को 250 रुपए की सब्सिडी मिलती है। ये सब्सिडी हितग्राही के खाते में जाती है।जबकि गैस का उपयोग अन्य लोगों द्वारा किया जाता है। गरीब हितग्राही को बिना गैस सिलेंडर भरवाएं सब्सिडी का लाभ मिल जाता है, जबकि होटल वालों को जलाने के लिए गैस मिल जाती है। उल्लेखनीय हैकि घरेलू गैस सिलेंडर की अपेक्षा व्यवसायिक गैस सिलेंडर महंगा पड़ता है। जिसके कारण अधिकतर होटलों में घरेलू गैस का उपयोग किया जाता है।
ये है उज्जवला के आंकड़े
एजेंसी – गैस कनेक्शन- हर माह रीफिल
वास्कले गैस एजेंसी- 3076 कनेक्शन- 900 से हजार सिलेंडर
सिद्धाश्रम गैस एजेंसी- 5500 कनेक्शन- 900 से हजार सिलेंडर
बडग़ांव स्थित एजेंसी- 1200 करीब- 500 से 600 सिलेंडर
लाभ दिया है, भरवाना हितग्राही का काम
उज्जवला के तहत एससी/एसटी के हितग्राहियों को गैस कनेक्शन नि:शुल्क दिए गए थे। गैस सिलेंडर भरवाना हितग्राही का काम है। साल में एक कनेक्शन पर 8 बार सब्सिडी मिलती है।एक सिलेंडर कम से कम दो माह चलता है। होटलों में घरेलू गैस सिलेंडर की भी जांच की जाती है। उज्जवला का कनेक्शन मिलने पर कार्रवाई की जाती है। आचार संहिता के कारण अभी जांच अभियान बंद है। चुनाव के बाद होटलों में जांच की जाएगी।
बालकृष्ण कोष्ठा, जिला खाद एवं आपूर्ति अधिकारी

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