scriptप्रशासन की सिर्फ हटाने की जिद, पुनर्वास की कोई बात नहीं | Water rising from back water of Sardar Sarovar Dam | Patrika News

प्रशासन की सिर्फ हटाने की जिद, पुनर्वास की कोई बात नहीं

locationबड़वानीPublished: Aug 24, 2019 11:05:01 am

नबआं ने लगाया आरोप, केंद्र सरकार के दबाव में काम कर रही मप्र सरकार, पर्व के दिन डूब गांव में मातम, जांगरवा में हुआ मृतक का अंतिम संस्कार, लगातार बढ़ रहे बैक वाटर से डूब पहुंची घरों की दहलीज तक

Water rising from back water of Sardar Sarovar Dam

Water rising from back water of Sardar Sarovar Dam

बड़वानी.
पर्वों के सीजन में भी डूब गांवों में अजीब सा सन्नाटा छाया हुआ है। सरदार सरोवर बांध के बैक वाटर से लगातार बढ़ता पानी लोगों के घरों की दहलीज तक पहुंचने लग गया है। सुरक्षा के लिहाज से प्रशासन द्वारा डूब क्षेत्रों में बसे लोगों को निकालने का काम किया जा रहा है। नर्मदा बचाओ आंदोलन का आरोप है कि प्रशासन सिर्फ लोगों को हटाने की जिद पर अड़ा हुआ है, पुनर्वास की कोई बात नहीं हो रही है। मप्र सरकार एक ओर तो डूब प्रभावितों के हक में बोलने की बात कह रही है, दूसरी ओर गुजरात और केंद्र सरकार के दबाव में जबरदस्ती विस्थापन कराने पर तुली हुई है।
नबआं कार्यकर्ता राहुल यादव ने बताया कि बिना पुनर्वास बेदखल किए जा रहे प्रभावितों को इतना डराया जा रहा है कि उनकी जान पर बन आई है। सरकार धमकाकर प्रभावितों को उनके गांवों से सिर्फ हटा रहे है, उनके पुनर्वास की कोई बात नहीं कर रही। न तो पुनर्वास का लाभ प्रदान किया जा रहा है और न ही इस बारे में कोई आश्वासन दिया जा रहा है। सरकार का ये रवैया अत्यंत निंदनीय है, ऐसे दमन से प्रभावित डरेंगे नहीं। पुनर्वास हमारा हक है और हम लेकर रहेंगे। मप्र सरकार विस्थापितों के साथ कब न्याय करेगी। डूब लगातार बढ़ती जा रही है और मप्र सरकार इसे रोकने में भी नाकाम साबित हो रही है। घाटी में तीन मौतें हो चुकी है, सरकार को ओर कितनी मौतों का इंतजार है। नबआं कार्यकर्ताओं की मांग है कि मप्र सरकार बिना दबाव गुजरात सरकार से बात करें और बांध के सभी गेट खुलवाकर जल स्तर 131 मीटर पर स्थिर करवाए।
बैक वाटर किनारे हुआ मृतक का अंतिम संस्कार हुआ
डूब ग्राम जांगरवा में विस्थापन के दौरान एक वृद्ध की सीने में दर्द के बाद ग्रामीणों का आक्रोश चरम पर पहुंच गया था। यहां गुरुवार रात 10.30 बजे लंबी समझाइश के बाद और प्रशासन द्वारा मृतक की पत्नी को तत्काल 10 हजार रुपए की सहायता राशि, बेटी को कलेक्टोरेट रेट पर नौकरी, जांगरवा में शिविर लगाकर लोगों की समस्या हल करने और किसी भी विस्थापित को जबरदस्ती नहीं हटाने की मांग पर लोगों ने शव उठाया। शुक्रवार सुबह मृतक लक्ष्मण के शव का पोस्टमार्टम किया गया। जिसके बाद शव गांव ले जाया गया। यहां शोक की लहर के बीच नर्मदा के बैक वाटर किनारे शव का अंतिम संस्कार किया गया।
243 लोगों को लाभ मिलना बाकी
नर्मदा बचाओ आंदोलन के राहुल यादव ने बताया कि जांगरवा में कुल 600 परिवार थे। इसमें से 58 को वर्ष 2000 में गुजरात में जमीन दी गई। 5 लोगों को 60 लाख व 3 लोगों को 15 लाख की पात्रता मिली। 105 लोगों को वर्ष 2013 में जमीन दी गई। जबकि 243 लोगों को अब भी 5.80 लाख की पात्रता मिलना बाकी है। इसमें से कई ऐसे भी हैं, जिनको 2017 की सूची अनुसार अपात्र माना गया है। चूंकी जलस्तर बढऩे पर गांव का रास्ता डूब जाएगा और टापू की स्थिति बनेगी। टापू की जगह वाले कई लोग इन अपात्रों की सूची में शामिल है, जिन्हें घर-प्लॉट व मुआवजा मिलना चाहिए। जानकारी के अनुसार जलस्तर बढऩे पर 10 दिन पूर्व गांव के दो मकान डूब गए थे। जबकि अब एक मीटर भी जलस्तर बढ़ता है तो 15 से अधिक मकान जलमग्न होने के साथ रास्ते डूब जाएंगे और गांव टापू बन जाएगा।

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