राष्ट्रीय ग्रामीण पेयजल मिशन योजना के तहत वर्ष 2013 में दूबली बांध में मशीन लगाकर उपखंड के चार गांवों को शुद्ध पेयजल उपलब्ध करवाने की व्यवस्था की थी। इसके लिए राज्य सरकार ने एक करोड़ 48 लाख 48 हजार रुपए स्वीकृत किए। पायलट प्रोजेक्ट के तहत बांध में संयंत्र लगाकर आधुनिक उपकरण लगाए। दो दूबली और गुमानपुरा गांवों में 50 हजार लीटर क्षमता की टंकियां स्थापित की। इसके बाद चारों गांव के सैकड़ों परिवारों को शुद्ध पेयजल मिलने लगा।
योजना के तहत पृथ्वीपुरा गांव के लिए भी 50 हजार लीटर क्षमता वाली एक टंकी स्वीकृत हुई। गांव में टंकी बनवाने को लेेकर खींचतान शुरू हो गई, जिससे टंकी बन ही नहीं पाई। लेकिन टंकी के लिए खोद गए ट्यूबवेल से पाइप लाइन डालकर गांव में जलापूर्ति शुरू कर दी गई। करीब पांच वर्ष तक पानी मिलने के बाद आपूर्ति बंद कर दी गई।
एक कम्पनी को चारों गांवों में जलापूर्ति के लिए टेंडर दिया था जिसकी टेंडर अवधि पूरी हो गई और ठेकेदार चला गया। फिर नया ठेका नहीं हुआ और जलापूर्ति भी रुक गई। पिछले 6 माह से जलदाय विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों की अनदेखी से ग्रामीण पेयजल को तरस गए। बांध पर लगे महंगे उपकरण धूल फांक रहे है और भवन में मवेशी बैठे रहते है। इधर, जलापूर्ति के लिए बिछाई गई पाइप लाइन भी क्षतिग्रस्त होने लगी है।
दूबली, धौली, पृथ्वीपुरा और गुमानपुरा आदि गांव एवं इनसे जुड़ी सैकड़ों ढाणियों में शुद्ध जलापूति के लिए यह योजना शुरू की गई थी। इसके तहत सैकड़ों परिवारों के हजारों बच्चे, बड़े-बूढ़ों को गला तर हो रहा था। अब उन्हें एक किलामीटर तक जाकर पानी लाना पड़ रहा है।
बांध की पाल पर बना योजना का भवन और जलसंग्रहण टैंक पर 6 बड़ी पानी की मोटर लगी हुई है। अन्य महंगे उपकरण भी लगाए गए है लेकिन उनकी सुरक्षा की किसी को परवाह नहीं। वहां सुरक्षाकर्मी तो दूर भवन के ताला भी नहीं लगा हुआ है। करीब एक किमी दूर तक किसी का निवास या आवास भी नहीं है। ऐसे में इन मशीनों को कोई असामाजिक तत्व ले जाए या नुकसान भी पहुंचा दे तो कुछ पता नहीं चल पाएगा। फिलहाल यहां भवन के बाहर और अंदर मवेशी विचरण करते है।
यह पेयजल योजना जलदाय विभाग की है। पंचायत का इसमें किसी भी प्रकार का कोई लेना देना नहीं है।
नाथूलाल महावर, सरपंच, माधोगढ़ इस योजना में ग्राम पंचायत का बजट नहीं लगा है, ना ही पंचायत के सुपुर्द है यह योजना।
कजोड़मल शर्मा, ग्राम विकास अधिकारी, ग्राम पंचायत माधोगढ़
राजेश मीणा, कनिष्ठ अभियंता, जलदाय विभाग, बांसखोह
पेयजल योजना की समस्या के बारे में उच्चाधिकारियों को बताकर इसे फिर शुरू करवाएंगे।
अशोक मीना, सहायक अभियंता, जलदाय विभाग, बस्सी